जानिए हार्ट अटैक आने पर कैसे करे प्राथमिक उपचार

शरीर में मौजूद बाकी मांसपेशियों की तरह ही हमारा दिल भी एक मांसपेशी ही होता है जिसे अलग-अलग रक्त वाहिकाएं ऑक्सीजन युक्त खून सप्लाई करती हैं। अगर दिल को पर्याप्त खून या ऑक्सीजन नहीं मिल पाते, तो वह ठीक से काम नहीं कर पाता और व्यक्ति को दिल का दौरा पड़ जाता है।

हार्ट अटैक क्या है –
हार्ट अटैक का मतलब कि हृदय को ऑक्सीजन युक्त खून सप्लाई करने वाली रक्त वाहिका में फैट, हाई कोलेस्ट्रॉल या अन्य पदार्थ जमने के कारण उसका मार्ग संकुचित हो गया है और दिल को पर्याप्त खून नहीं मिल पा रहा। इस स्थिति में दिल को नुक्सान पहुंचता है और वह ठीक से काम नहीं कर पाता।

दिल का दौरा पड़ने पर आमतौर पर 10-15 मिनट या उससे अधिक समय के लिए छाती में दर्द होता है। काफी लोगों को कई घंटों, दिनों और हफ़्तों पहले ही हार्ट अटैक के लक्षण अनुभव होने लगते हैं। हालांकि, ऐसा भी हो सकता है कि हार्ट अटैक आने पर कोई लक्षण या संकेत न हो।

एनजाइना से ग्रस्त लोगों को दिल का दौरा पड़ने का खतरा अधिक होता है। इसमें हृदय को पर्याप्त खून नहीं मिलता जिससे छाती में दर्द होता है। ये दर्द कोई शारीरिक काम करते समय बढ़ जाता है और आराम करते समय या दवा लेने से ठीक हो जाता है।

हार्ट अटैक का सबसे पहला संकेत होता है बार-बार छाती में दर्द होना जो कोई काम करने से शुरू होता है और आराम करने से ठीक हो जाता है।

बहुत से लोग हार्ट अटैक आने के बाद सही उपचार लेने से पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं इसीलिए ये महत्वपूर्ण है कि अगर किसी व्यक्ति को हार्ट अटैक आ रहा है तो उसे सही प्राथमिक उपचार और समय पर अस्प्ताल ले जा कर सही इलाज दिया जाए, नहीं तो उसकी मृत्यु भी हो सकती है।

दिल का दौरा पड़ने के दौरान क्या होता है –
हार्ट अटैक आने पर आमतौर पर 15 मिनट या उससे अधिक समय तक सीने में दर्द होता और कई लोगों को कुछ घंटों, दिनों और हफ़्तों पहले ही हार्ट अटैक के संकेत मिलने लग जाते हैं, लेकिन ऐसा भी हो सकता है कि व्यक्ति को महसूस ही न हो।

हर व्यक्ति को दिल का दौरा पड़ने पर अलग-अलग लक्षण होते हैं। महिलाओं, बूढ़े लोगों और शुगर की समस्या से ग्रस्त लोगों को हार्ट अटैक के लक्षण कम होते हैं।

नीचे ये बताया गया है कि दिल का दौरा पड़ने पर क्या महसूस होता है –

सीने के बीच में दबाव या दर्द महसूस होना।
सीने में असहजता महसूस होना जो कुछ समय बाद अपने आप ठीक हो जाए।
मानसिक स्थिति में बदलाव आना। खासकर, बूढ़े लोगों में।
दिल की अनियमित धड़कन।

बहुत अधिक कमजोरी महसूस होना।

किसी और को हार्ट अटैक आने पर मदद कैसे करें –
सबसे पहले उस व्यक्ति को अस्पताल ले जाने की कोशिश करें। अगर ये संभव नहीं है, तो एम्बुलेंस को फोन करें और व्यक्ति के साथ ही रहें। मदद मिलने तक आप निम्नलिखित तरीके से व्यक्ति को प्राथमिक उपचार दे सकते हैं –

अगर व्यक्ति होश में है, तो उससे पूछ लें कि कहीं उसे एस्पिरिन (Aspirin) से एलर्जी तो नहीं है या उसे डॉक्टर ने एस्पिरिन लेने के लिए मना तो नहीं किया है।
अगर व्यक्ति को एलर्जी नहीं है, तो उसे एस्पिरिन चबाने के लिए दें।
अगर व्यक्ति का दिल धड़क नहीं रहा है, तो उसे सीपीआर देना शुरू करें।
अगर आपको सीपीआर देना नहीं आता है, तो अपने हाथ व्यक्ति की छाती पर रख कर एक मिनट में 100 से 120 बार उसकी छाती दबाएं।
अगर आस-पास “डीफिब्रिलेटर” (Defibrillator: करंट द्वारा दिल की अनियमित धड़कन को सामान्य करने वाला एक उपकरण) मौजूद हो, तो उसका उपयोग करें।
किसी भी स्थिति में मदद आने से पहले व्यक्ति को अकेला छोड़ कर न जाएं।

खुद को दिल का दौरा पड़ने पर क्या करें –
हार्ट अटैक को एकदम से रोकने का कोई तरीका नहीं है। अगर आपको दिल का दौरा पड़ रहा है, तो आपको तुरंत एम्बुलेंस को बुलाना चाहिए। खुद अस्पताल जाने का प्रयास केवल तब ही करें जब और आपके आस-पास कोई न हो और आप खुद अस्पताल जाने की हालत में हों।

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