जानिए सेक्स और जेंडर में क्या अंतर है
सेक्स और जेंडर में अंतर को समझने के लिए आपको जेंडर के बारे में भी जानना होगा। सेक्स और जेंडर में अंतर के क्रम में अभी तक आपने जाना सेक्स के सभी आयामों के बारे में। अब जानते हैं कि जेंडर क्या है?
हमारे समाज में सिखाया जाता है कि जेंडर दो तरह के होते हैं- महिला और पुरुष,लेकिन जेंडर की कई सीमा नहीं है, यह विस्तृत है। कुछ लोग नॉनबाइनरी के रूप में पहचाने जाते हैं। नॉनबाइनरी को सात रंगों के अम्ब्रेला से प्रदर्शित किया जाता है। जिसका मतलब होता है कि एक ऐसी पहचान जो महिला और पुरुष दोनों से परे हो।
इसके अलावा जेंडर की कुछ और भी पहचान है, जैसे- बाइजेंडर, बाइजेंडर ऐसे लोग होते हैं, जिनमें महिला और पुरुष दोनों के जेंडर पाए जाते हैं। अजेंडर ऐसे लोग जिनमें किसी भी जेंडर की पहचान न की जा सके। जिसे आज हमारे समाज में थर्ड जेंडर के रूप में देखा जाता है। इसलिए जेंडर अब सिर्फ महिला और पुरुष की सीमा में नहीं बंधा है, बल्कि उससे कहीं परे हो गया है। हमारे समाज में ऐसे लोगों को किन्नर कहा जाता है।
सेक्स और जेंडर में अंतर होने के बावजूद इनमें संबंध है। सेक्स और जेंडर में अंतर होने के बाद भी इनमें कुछ समानताएं हैं। अगर कोई व्यक्ति मेल सेक्स के साथ पैदा हुआ है तो उसका जेंडर पुरुष होता है। अगर कोई फीमेल सेक्स के साथ पैदा होती है तो उसका जेंडर महिला होगा, लेकिन जो लोग ट्रांस या नॉन-कन्फर्मिंग जेंडर के होते हैं, जन्म के समय उनका सेक्स भले से निर्धारित रहता है, उनका जेंडर कंफर्म नहीं रहता है। ऐसा भी हो सकता है कि वे जन्म के समय जिस सेक्स के साथ पैदा हुए हैं, भविष्य में उनका सेक्स अलग हो।
जो लोग सेक्स और जेंडर में अंतर को नहीं समझते है, उन लोगों का मानना है कि जेंडर दिमाग में और सेक्स पैंट में होता है। ऐसा सोचने से ट्रांस लोगों को दुख होता है, लेकिन जो लोग समाज की इस हकीकत को अपना चुके होते हैं, वे लोग खुश रहते हैं। ट्रांस लोगों की सामाजिक तौर पर शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक सेहत प्रभावित होती है। हालांकि, हमारे देश की उच्च न्यायालय ने इन्हें समानता का दर्जा दे दिया है।