जानिए शुक्राणु बढ़ाने के सबसे आसान घरेलू उपाय

शुक्राणु की कमी पुरुष नपुसंकता के लिए सबसे आम कारणों में से एक है क्योंकि जो शुक्राणु अंडे से निषेचन (fertilization) करने वाला हो, हो सकता है कि उस शुक्राणु का उत्पादन ही न हो। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार शुक्राणुओं की सामान्य संख्या कम से कम 20 मिलियन प्रति मिली लीटर वीर्य होती है। कम से कम 15 मिलियन शुक्राणु प्रति लीटर को कम शुक्राणु की संख्या में माना जाता है जिसे ओलिगोस्पर्मिया (oligospermia) भी कहते हैं।

ओलिगोस्पर्मिया (Oligospermia) कई कारणों से हो सकता है और जिनकी वजह से होता है वो हैं हार्मोनल असमानताएं, संक्रमित वीर्य, प्रोस्टेट ग्रंथि में संक्रमण, वैरीकोसेल, क्षतिग्रस्त शुक्राणुओं की नलिकाएं, एनाबॉलिक स्टेरॉयड, धूम्रपान, शराब, नशीली दवाएं, जहरीले रसायन, कुछ दवाएं आदि। बल्कि योनि की स्नेहक (lubricants) स्थिति भी शुक्राणुओं के लिए विषाक्त हो सकती है। हाल के अध्ययनों से पता चलता है कि विद्युतचुंबकीय विकिरण (ईएमएफ) के कारण अंडकोष में ज़्यादा हीट होने की वजह से शुक्राणुओं की संख्या कम हो सकती है। इस प्रकार, अपनी गोद में लैपटॉप रखने से और फोन को जेब में रखने से ये समस्या उत्पन्न हो सकती है। तो आज हम आपको प्राकृतिक उपाय बताने वाले हैं जिनके इस्तेमाल से शुक्राणुओं की संख्या बढ़ाने और गुणवत्ता में सुधार करने में मदद मिलेगी –

स्पर्म बढ़ाने के उपाय में करे माका जड़ का उपयोग –
काला किस्म का माका जड़ शुक्राणु उत्पादन और उसकी गतिशीलता को बेहतर बनाने में मदद करता है। यह एक लोकप्रिय प्रजनन जड़ीबूटी है जो हार्मोन संतुलन में मदद करती है।

माका जड़ का इस्तेमाल कैसे करें –

कुछ महीने के लिए रोज़ाना एक से तीन चम्मच माका जड़ का सेवन पूरे दिन में दो बार ज़रूर करें।
आप इसे एक ग्लास पानी में, प्रोटीन शेक या फिर इसे चुटकीभर लेकर अपने खाने में मिला सकते हैं।
माका जड़ फाइबर से समृद्ध होता है इसलिए इसकी आधी चम्मच कुछ हफ्ते तक खा सकते हैं। इसकी संख्या को आप बढ़ा भी सकते हैं।

शुक्राणु बढ़ाने वाला अचूक नुस्ख़ा है अश्वगंधा –
2013 में एक रिसर्च के अनुसार पाया गया कि अश्वगंधा की जड़ का जूस शुक्राणुओं को बढ़ाने में मदद करता है और वीर्य की मात्रा या शुक्राणु गतिशीलता को भी बढ़ाता है। इसके अलावा, यह जड़ी बूटी स्वस्थ टेस्टोस्टेरोन उत्पादन को भी बढ़ावा देती है। यह आपके समग्र स्वास्थ्य में सुधार करता है, जीवन शक्ति को बढ़ाता है और तनाव और चिंता को भी कम करता है।

अश्वगंधा का इस्तेमाल कैसे करें –

एक ग्लास दूध में आधा चम्मच अश्वगंधा पाउडर मिलाएं जिसे इंडियन जिंसेंग भी कहा जाता है।
कुछ महीनों के लिए इस मिश्रण को पूरे दिन में दो बार ज़रूर पियें।
इसके अलावा आप अश्वगंधा जड़ का जूस भी पी सकते हैं।
इसकी खुराक लेने के लिए सबसे पहले अपने डॉक्टर से बात करें।

शुक्राणु बढ़ाने के उपाय करे पैनेक्स जिंसेंग से –
पैनेक्स जिंसेंग को कोरियन जिंसेंग भी कहा जाता है। इसका इस्तेमाल आमतौर पर तनाव से दूर रहने के लिए चाइनीस दवाइयों में किया जाता है। टेस्टोस्टेरोन को बढ़ाने के लिए और शुक्राणुओं की संख्या और गतिशीलता की वृद्धि करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

तीन महीनों के लिए एक से तीन पैनेक्स जिंसेंग के 500 मिलीग्राम कैप्सूल्स का सेवन करें। इनका सेवन करने से पहले या किसी भी सप्लीमेंट्स को लेने से पहले अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

शुक्राणुओं की संख्या बढ़ाने का घरेलू नुस्खा है लहसुन –
लहसुन एक प्राकृतिक कामोद्दीपक (aphrodisiac) की तरह कार्य करता है और शुक्राणु उत्पादन को बढ़ावा देने में भी मदद करता है। इसमें एल्लीसिन नामक योगिक मौजूद होता है जो शुक्राणु को बढ़ाता है और रक्त परिसंचरण में सुधार भी करता है। इसके अलावा, लहसुन में मौजूद सेलेनियम शुक्राणु गतिशीलता को बेहतर बनाने में मदद करते हैं। बस अपने दैनिक आहार में 1 या 2 क्रश लहसुन की फांके अपने आहार में ज़रूर मिलाएं।

स्पर्म काउंट बढ़ाये ट्रिबूलस से –
ट्रिबूलस टेर्रेस्ट्रिस जिसे गोकशुरा भी कहा जाता है एक आयुर्वेदिक उपाय है जो शुक्राणुओं की संख्या बढ़ाने और शुक्राणु की गुणवत्ता में सुधार के लिए जाना जाता है। यह हॉर्मोन का स्तर बढ़ाने में मदद करता है। 2012 के एक अध्ययन में यह पाया गया कि कामोत्तेजक जड़ी बूटी को ओलिगोज़ूस्पर्मिया के इलाज के लिए भी सहायक माना जाता है।

तीन महीनों के लिए एक से तीन ट्रिबूलस टेर्रेस्ट्रिस के 500 मिलीग्राम कैप्सूल्स का सेवन करें। इनका सेवन करने से पहले या किसी भी सप्लीमेंट्स को लेने से पहले अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

स्पर्म काउंट बढ़ाएं व्यायाम कर के –
अध्ययनों से पता चला है कि व्यायाम स्वस्थ शुक्राणु उत्पादन को बढ़ावा देने में मदद करते हैं। वास्तव में, 2013 के एक अध्ययन के मुताबिक आजकल की गतिहीन (sedentary) जीवन शैली की वजह से वीर्य की समग्र गुणवत्ता में गिरावट नज़र आने लगी है।

अध्ययन में पाया गया कि युवा पुरुष जिनकी जीवनशैली गतिहीन होती है और जो 20 घंटे से अधिक टीवी देखते हैं उनमे शुक्राणुओं की संख्या टीवी न देखने वालों की तुलना में 50% से कम हो जाती है। दूसरी तरफ, जो लोग हफ्तेभर में कम से कम 15 घंटे का व्यायाम करते हैं उनमे शुक्राणुओं की गुणवत्ता कम या व्यायाम न करने वालों की तुलना में 73% अधिक होती है।

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