जानिए लॉकडाउन में सेनेटरी पैड्स की समस्या को लेकर क्या कहते हैं डॉक्टर

लॉकडाउन में सेनेटरी पैड्स की समस्या को लेकर गायनेकोलॉजिस्ट दीपाली गुप्ता ने बताया कि मासिक धर्म के समय स्वच्छता न रखने से महिलाओं के स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है। गरीब महिलाओं के लिए साफ-सफाई रखना जरूरी है। सफाई रखना उनके परिवार के लिए भी बेहद जरूरी है। अगर सेनिटरी नैपकिन उन्हें नहीं मिलेंगे तो हाइजीन मेंटेन करना मुश्किल हो जाएगा। मासिक धर्म में पैड को ज्यादा समय तक इस्तेमाल करने से प्रजनन संक्रमण (आरटीआई) का खतरा रहता है। साथ ही एक बार इस्तेमाल किए हुए कपड़े को बार—बार धोकर इस्तेमाल करने से भी संक्रमण तेजी से फैलता है। महिलाएं आरटीआई के बारे में ज्यादा जागरूक नहीं हैं।

बड़े पैमाने पर कंपनियों को हर क्षेत्र की दुकानों और मेडिकल स्टोरों तक सेनेटरी पैड की आपूर्ति होनी चाहिए।

यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि पैड की कीमत ज्यादा न हो और दुकानदार भी उसे सही दाम पर ही बेंचे। राज्य सरकारें जिला प्रशासनों के माध्यम से सेनेटरी पैड का स्टॉक रख सकती हैं।

जिला अधिकारी फ्रंटलाइन वर्कर्स, आंगनवाड़ी वर्कर, कम्युनिटी वालंटियर्स और अन्य समूह के साथ मिलकर मीलों दूर तक भी सेनेटरी नैपकिन की पहुंच बना सकते हैं।
जिन लड़कियों और महिलाओं तक सेनेटरी नैपकिन नहीं पहुंच पा रहे हैं, उन्हें कपड़े को सुरक्षित तरीके से प्रयोग करने के बारे में जानकारी देना जरूरी है। जतन संस्थान जैसे संगठन घर में बने कपड़े के पैड और उनके स्वच्छ रखरखाव पर जानकारी दे सकते हैं।

आइसोलेशन में रह रहीं महिलाओं तक सैनिटरी पैड और अंडरवियर पहुंचाया जाना चाहिए। साथ ही, महिलाओं के लिए अलग और सुरक्षित शौचालय और पानी की सुविधा भी होनी चाहिए। पैड फेंकने के लिए डस्टबिन भी आवश्यक है।
डिस्पोजेबल और दोबारा इस्तेमाल किए जाने वाले सेनेटरी पैड के स्वच्छ उपयोग की जानकारी देना भी आवश्यकता है। पैड को धोने और स्वच्छता बनाए रखने के लिए पानी के भंडारण पर जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *