जानिए बच्चे के जन्म के बाद किन किन बातो का रखना चाहिए ध्यान
जब बच्चे का जन्म होता है, तो वह एक नाड़ (कोर्ड) से जुड़ा हुआ होता है जिसे नाड़ी भी कहते हैं। इसका रंग सफेद, मटमैला हो सकता है। यह देखने में रस्सी की तरह होता है। इसे छूकर बच्चे की धड़कन महसूस की जा सकती है। यह नाड़ मां के गर्भ में बच्चे के शरीर में खून और ऑक्सीजन पहुंचाने का कार्य करता है। यह नाड़ एक सिरे से बच्चे की नाभि और दूसरे सिरे पर मां के बच्चेदानी की दीवार से चिपका रहता है। सामान्य तौर पर देखा जाए तो जब बच्चा जन्म के बाद रोना शुरू करता है, तभी डॉक्टर इसे काटकर मां की बच्चेदानी से अलग करते हैं।
बच्चे के जन्म के बाद सबसे पहले बच्चे के मुंह और नाक को साफ किया जाता है। अगर बच्चे के मुंह में किसी तरह का कोई पदार्थ चला गया है या जन्म के दौरान निकलने वाली झिल्ली का द्रव बच्चे के मुंह में चला गया होता है, तो उसे भी डॉक्टर या नर्स साफ करते हैं।
कभी-कभी इन पदार्थों को साफ करने के लिए मशीनों का उपयोग किया जा सकता है हालांकि, मशीन का इस्तेमाल तभी किया जाता है, अगर यह पदार्थ बच्चे की सांस लेने वाली नली में चली गई हो। इसके बाद बच्चे की आंखों को साफ किया जाता है।
बच्चे के जन्म का पहला घंटा शुरू होते ही डॉक्टर बच्चे के सांस लेने की कार्यक्षमता, बच्चे के दिल की धड़कन, त्वचा का रंग, हाथ और पैरों का हिलना, बच्चे की त्वचा को छूने पर उसका रवैया, इन सभी बातों की देखरेख करते हैं।