जानिए किस धातु की खरीदें पूजा की घंटी

घंटी की सबसे उत्तम धातु कांसा मानी जाती है, आप पीतल की घंटी भी ले सकते हैं। लेकिन पीतल की घंटी का नाद उत्तम नहीं रहता है। पीतल की घंटी कुछ दबे-दबे स्वर में बजती है। और इसके चिपरित कांसे की घंटी में नाद बहुत सुन्दर होता है। इसलिए आपको प्रयास यह करना चाहिए कि कांसे की घंटी लें। कई बार लोग स्टील की घंटी भी पूजा में रखते हैं। लेकिन बिलकुल स्टील की घंटी पूजा में नहीं रखनी चाहिए। और ताबे की घंटी में भी उतना सुन्दर स्वर नहीं निकलता है जितना सुन्दर स्वर कांसे की घंटी का स्वर होता है। इसलिए पूजा में कांसे की बनी हुई घंटी ही रखनी चाहिए। जो स्वर, जो नाद और जो आवाज आपको कांसे की घंटी में मिलेगी वह स्वर और आवाज तो आपको सोने और चांदी की घंटी में भी सुनने को नहीं मिलेगी। तो इसलिए आपका यही प्रयास होना चाहिए कि आपको कांसे की घंटी लेनी चाहिए।

घंटी खरीदने से पहले घंटी को बजाकर आपको यह देखना चाहिए कि घंटी से किस प्रकार का नाद आ रहा है। इसलिए सबसे पहले घंटी से निकलने वाले नाद का चुनाव करें।

घंटी की डंडी की तरफ ध्यान से चेक करें कि घंटी की डंडी जड़ से निकलने वाली ना हो, यानि कि जड़ में से डंडी मजबूत हो। कई बार डंडी टूट जाती है और ऐसी स्थिति में घंटी बेकार हो जाती हैं। यानि कि घंटी एक ही धातु की बनी होनी चाहिए, दो अलग-अलग धातुओं की घंटी नहीं होनी चाहिए।

वैसे तो मुख्य रूप से घंटी कांसा की ही लेनी चाहिए। लेकिन आप पीतल, चांदी और स्वर्ण और तांबे इत्यादि की घंटी भी ले सकते हैं।

साधारणतया घंटी में गरूण देवता का पूजन किया जाता है। तो इसलिए विशेषकर आप गरूण देवता की प्रतिमा वाली ही घंटी लेनी चाहिए। परन्तु आप शिव भक्त हैं और आपके घर में केवल भगवान शिव का ही परिवार रहता है तो आप नंदी की प्रतिमा वाली घंटी भी ले सकते हैं। क्योंकि शिव भक्तों को वृषभ करना चाहिए। और विशेष मंत्र के साथ घंटी का पूजन करना चाहिए। लेकिन मंदिरों में रखी जाने वाली घंटी में किसी भी देवता की प्रतिमा अंकित नहीं होती है। लेकिन घंटी में गरूण देवता का ही निवास होता है।

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