सुबह-सुबह इन व्यायामों से बनाएं घुटनों को स्वस्थ और गतिशील

शरीर के सभी अंगों और मांसपेशियों का हमारे स्वस्थ्य जीवन में महत्वपूर्ण योगदान है। बेहतर काम करने और चलने फिरने के लिए शरीर के हर जोड़ की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। मगर समय के साथ जोड़ों के बीच में पाया जाने वाला फ्लूइड सूखने लगता है, जिससे हड्डियों में घर्षण उत्पन्न हो जाता है। इसी घर्षण की वजह से जोड़ों में दर्द शुरू हो जाता है। यह दर्द आपके दैनिक गति को रोकने के लिए काफी है। यहां यह जानना बहुत आवश्यक है कि आखिर जोड़ों में दर्द और गतिशीलता में कमी की वजह क्या है? जोड़ों में उत्पन्न होने वाली ऐसी समस्याओं के कई कारक हो सकते हैं, जैसे उम्र, वजन, जीवनशैली, वातावरणीय प्रभाव या कोई गंभीर बीमारी या चोट। हालांकि, अगर हम कुछ सावधानियां बरतें तो इस तरह की समस्याओं से निजात पा सकते हैं।

पूरे शरीर की स्ट्रेचिंग –
सुबह जागने के बाद सबसे पहले हम अंगड़ाई लेते हुए स्वाभाविक रूप से पूरे शरीर की स्ट्रे​चिंग कर लेते हैं। इस क्रिया को पैंडिकुलेटिंग के नाम से जाना जाता है। पूरी रात अलग-अलग तरीकों से लेटने से मांसपेशियों में जो विषमताएं उत्पन्न होती हैं उसे हटाने के लिए यह स्ट्रेचिंग बहुत जरूरी होती है। ऐसा करने से मांसपेशियों में उत्पन्न होने वाले अनावश्यक तनाव और कठोरता से राहत मिलती है। उठने के बाद आप इस तरह से भी स्ट्रेचिंग कर सकते हैं।

बिस्तर से उठने के बाद सबसे पहले अपनी बाहों को पूरी तरह से फैलाएं।
अपनी मुट्ठी बंद करते हुए हाथों को ऊपर की ओर उठाएं।
दोनों हाथों को बारी-बारी से उठाते हुए, पूरे हाथ में तनाव उत्पन्न करें। ऐसा प्रयास करें जैसे आप छत को छूने की कोशिश कर रहे हैं।
ऐसे ही अब अपने पैरों की उंगलियों पर पूरा भार डालते हुए दोनों हाथों को ऊपर की ओर उठाएं और रीढ़ की हड्डी पर भी तनाव उत्पन्न करने का प्रयास करें।

गर्दन के जोड़ों की गतिशीलता –
रीढ़ की हड्डी का जुड़ाव हमारी गर्दन से होता है। जब हम घंटों लैपटॉप पर काम करते हैं या फिर फोन की स्क्रीन को देखते रहते हैं तो इससे इन हड्डियों में काफी तनाव उत्पन्न होता है। गर्दन की गतिशीलता को बनाए रखने और हड्डियों पर पड़ने वाले इस तरह के तनावों से बचने के लिए निम्न अभ्यासों को प्रयोग में लाया जा सकता है।

सबसे पहले आराम से अपनी गर्दन को नीचे करें और कुछ सेकंड के लिए इसी स्थिति में रुकें।
अब सामने की ओर देखें और धीरे-धीरे अपनी गर्दन को पीछे की ओर ले जाएं और छोड़ दें। कुछ सेकंड के लिए इसी स्थिति में रुकें। इस क्रिया को तीन से चार बार दोहराएं।
इसके बाद अब सिर को फिर से नीचे की ओर झुकाएं। इसके बाद सबसे पहले, अपने सिर को अपने दाईं ओर घुमाकर कुछ सेकंड के लिए रुकें। फिर धीरे-धीरे पूर्ववत स्थिति में आएं। जिस प्रकार से सिर को दाईं ओर घुमाकर रुके थे, अब उसी प्रक्रिया को बाईं ओर से भी दोहराएं।
इस प्रकिया के अगले चरण में सबसे पहले अपनी गर्दन को दाहिनी ओर झुकाएं। बाईं ओर से हाथों से हल्का जोर लगाएं और कुछ सेकंड के लिए रुकें। इसी तरह से बाईं ओर से भी इसी प्रक्रिया को दोहराएं। दोनों ओर से इस प्रकिया के तीन से चार रैप करें।

कंधे के जोड़ों की गतिशीलता –
कंधे के जोड़ों को ग्लेनोह्यूमरल जोड़ के नाम से भी जाना जाता है। कंधे के जोड़ ऊपरी शरीर में आठ छोटी-बड़ी मांसपेशियों से संयोजित होते हैं। इनमें से तीन प्रमुख हड्डियां ऐसी हैं, जिनका विशेष ध्यान रखने की जरूरत होती है। ये हड्डियां हैं- शोल्डर ब्लेड या स्कैपुला, कॉलरबोन या क्लेविकल और एक्रोमियन जो स्कैपुला और कॉलरबोन को जोड़ता है। जोड़ों की मदद से हाथों को ऊपर, नीचे और अन्य दिशाओं में घुमाया जा सकता है।आप बिना हाथों के प्रयोग के भी कंधों को ऊपर-नीचे और दूसरे दिशाओं में घुमा सकते हैं। कंधों के लिए आप इस अभ्यास को कर सकते हैं।

सबसे पहले अपनी कोहनी को मोड़कर हाथों को कंधों पर रखें। अब अपनी कोहनी को क्लाकवाइज घुमाएं। करीब 10 बार ऐसा करें। अब इसी प्रकिया को एंटी-क्लॉकवाइज भी दोहराएं।
व्यायाम के दूसरे चरण में बिल्कुल सीधे खड़े हो जाएं। अब दोनों हाथों को सिर के ऊपर करते हुए कमर को बाईं ओर मोड़ें। हाथों को भी बाईं ओर लेकर जाएं। अब पूर्ववत स्थिति में आते हुए दाईं ओर घूमें और हाथों की गति भी वैसे ही रखें। दोनों तरफ इस प्रक्रिया को 10 बार दोहराएं। ऐसा करने से पीठ के ऊपरी हिस्से की मांसपेशियां सक्रिय अवस्था में आती हैं।

पीठ और रीढ़ की गतिशीलता –
रीढ़ की हड्डी मूल रूप से 33 हड्डियों का एक समूह है। यह शरीर की लगभग हर गतिविधि में हमारी मदद करती हैं। रीढ़ की हड्डियों का संयोजन निम्न है।

गर्दन में सात मेरुदंड
पीठ के ऊपरी हिस्से में 12 मेरुदंड
पीठ के निचले हिस्से में 5 मेरुदंड
सेक्रल जहां पीठ और कूल्हे जुड़ते हैं में 5 मेरुदंड
टेलबोन क्षेत्र में 5 मेरुदंड
पीठ के जोड़ों को गतिशीलता देने वाले अभ्यास के दौरान उपरोक्त सभी का व्यायाम हो जाता है। इस व्यायाम को निम्न तरीके से किया जा सकता है।

एक चटाई पर सीधे खड़े हो जाएं। आप चाहें तो पैरों को खोलकर भी खड़े हो सकते हैं।
धीरे से अपने सिर को नीचे की ओर लाते हुए अपनी ठुड्डी को छाती से स्पर्श कराएं।
अब जितना हो सके उतना नीचे की ओर जाएं और कम से कम 30 सेकंड के लिए रुकें।
यदि आप हाथों से फर्श को छू सकते हैं, तो पैर की उंगली को स्पर्श करें। घुटनों को मोड़ते हुए डीप स्क्वाट की स्थिति में आएं। अब पैरों को फिर से सीधा करें।
अपने पीठ को बारी-बारी से दाएं और बाएं ओर मोड़ें।
पूरे व्यायाम के दौरान सामान्य रूप से सांस लेते रहें। अपने सिर को ऊपर ना उठाएं ना ही ऊपर की ओर देखें। इस अभ्यास के दो से तीन राउंड करें।
वैकल्पिक रूप से आप भुजंगासन (कोबरा मुद्रा) और काउ पोज योग भी कर सकते हैं।

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