भारत के इस राज्य में शादीशुदा लड़कियों को नहीं मिलता एडमिशन
सभी जानते हैं की भारत में आरक्षण बहुत बड़ा मुद्दा है. जहाँ देखो वहां आरक्षण ही आरक्षण है. वो शिक्षा का क्षेत्र हो या फिर नौकरी. आरक्षण धर्म के नाम पर जाति के नाम पर,यहाँ तक की लिंग के नाम पर दिया जाता है. सिर्फ और सिर्फ आरक्षण ! इस देश में कभी टैलंट के नाम पर कुछ नहीं होता. खैर, आपको सुन कर आस्चर्य होगा की एक ऐसा भी कॉलेज है, जो इन सभी से दूर एक और नियम चलाता है, वो है विवाहित और अविवाहित. जी हाँ!
आपने बिलकुल सही पढ़ा, अगर आप विवाहित लड़की हैं तो आपको पढ़ने का कोई हक़ नहीं है. सुन कर चौंक गए ना! एक तरफ जहाँ कहा जाता है की पढ़ने की कोई उम्र सीमा नहीं होती,वहीँ अगर आप विवाहित हैं तो आप कॉलेज में एडमिशन नहीं ले सकती.आपको बता दे की तेलगाना सरकार का मानना है कि पति के आने से महिलाएं बहकती है, इसलिए मैरीड महिलाओं को एडमिशन ही नही दिया जाए.
यह बात उन्होंने एक नोटिफिकेशन के जरिए सोशल वेलफेयर रेजिडेंशियल वुमेन डिग्री कॉलेजों के अंडरग्रेजुएट कोर्स के लिए कही है. इन कोर्स में बीए, बी कॉम, बीएससी शामिल है.सरकार का कहना है कि मैरीड वुमन कॉलेजों में भटकाव पैदा करती हैं, वही टीओई की एक रिपोर्ट के अनुसार सरकार ने यह नियम एक साल पहले ही लागू कर दिया है.
23 आवासीय कॉलेजों के करीब 4 हजार सीटों पर एडमिशन इस नियम से होता है. इन कॉलेजों में महिला कैंडिडेट को सभी चीजें मुफ्त में बाटी जाती है.
सोसायटी के कंटेंट मैनेजर ने बताया कि ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि शादीशुदा महिलाओं को एडमिशन देने पर उनके पति भी कॉलेज विजिट करते हैं. इससे बाकी महिलाओं का ध्यान भटक सकता है, तो वही सोसाइटी के सेक्रेटरी का कहना है कि आवासीय कॉलेजों का मकसद था कि बाल विवाह रुक सके.
इसलिए हम शादीशुदा लड़कियों को प्रोत्साहित नहीं करते. चाहे कोई भी दलील दी जाए इतना तो तय है की विवाहित महिला का एडमिशन इन कॉलेज में नहीं हो सकता है. देखना यह है की इस नियम से बाल विवाह रुकता है या नहीं, या फिर अशिक्षा और बढ़ती है, ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा. फ़िलहाल इतना तो तय है की अगर आप विवाहित हैं तो आप तेलंगना में नहीं पढ़ सकती