भारतीय बाजार में स्मार्ट फोन ब्रांड की हिस्सेदारी घटकर 72 प्रतिशत रह गई,…
भारतीय बाजार में चीनी स्मार्ट फोन ब्रांड की हिस्सेदारी अप्रैल-जून तिमाही में घटकर 72 प्रतिशत रह गई, जबकि पिछली तिमाही में यह 81 प्रतिशत थी। इसका मुख्य कारण देश में बढ़ती चीन विरोधी भावना और कोविद -19 के कारण भागों की आपूर्ति है।
रिसर्च कंपनी काउंटरपॉइंट रिसर्च की एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश के Smart Phone बाजार में ओप्पो, वीवो और Realme जैसे चीनी ब्रांडों का दबदबा है, लेकिन अप्रैल-जून की तिमाही में उनकी बाजार हिस्सेदारी घट गई है। स्मार्टफोन की बिक्री में सालाना आधार पर 51 प्रतिशत की गिरावट आई है और यह 18 मिलियन यूनिट से कुछ ही कम है। इन सबके बावजूद, Xiaomi का दबदबा कायम है। दूसरी तिमाही में इसकी हिस्सेदारी 29 प्रतिशत रही, इसके बाद सैमसंग ने शाओमी के बाद हिंदुस्तान में 26 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ।
इसका मुख्य कारण अप्रैल और मई में कोविद -19 के कारण देश में तालाबंदी थी। काउंटरपॉइंट रिसर्च के शोध विश्लेषक शिल्पी जैन ने कहा कि चीनी स्मार्ट फोन ब्रांडों की हिस्सेदारी अप्रैल-जून 2020 में घटकर 72 प्रतिशत रह गई, जबकि जनवरी-मार्च 2020 में यह 81 प्रतिशत थी।
उन्होंने कहा, “इसका कारण ओपो, वीवो और रियलमी जैसे प्रमुख चीनी स्मार्ट फोन ब्रांडों की आपूर्ति प्रभावित होना है।” साथ ही, देश में चीन विरोधी धारणा को मजबूत करने का भी प्रभाव पड़ा है। सरकार ने चीन के खिलाफ कड़े कदम भी उठाए हैं, जिसमें 50 से अधिक चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध लगाना और चीन से आयात होने वाले सामानों की सीमा की जांच करना आदि शामिल हैं।
गौरतलब है कि गाल्वन घाटी में भारत और चीन के बीच तनाव के बाद देश में चीन विरोधी माहौल है। गाल्वन घाटी की घटना में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे। जैन ने कहा कि हालांकि स्थानीय विनिर्माण, अनुसंधान और विकास संचालन, मूल्य और मजबूत बिक्री चैनलों द्वारा बेहतर उत्पाद, चीनी कंपनियों ने उपभोक्ताओं के सामने कुछ विकल्प छोड़ दिए हैं।रिसर्च कंपनी काउंटरपॉइंट रिसर्च की एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश के Smart Phone बाजार में ओप्पो, वीवो और Realme जैसे चीनी ब्रांडों का दबदबा है, लेकिन अप्रैल-जून की तिमाही में उनकी बाजार हिस्सेदारी घट गई है। स्मार्टफोन की बिक्री में सालाना आधार पर 51 प्रतिशत की गिरावट आई है और यह 18 मिलियन यूनिट से कुछ ही कम है।