The government agency is making toilet water on this millionaire, know how

यह पर टॉयलेट का पानी बना रहा है सरकारी एजेंसी को करोड़पति, जानिए कैसे

क्या आपने कभी टॉयलेट के पानी को व्यपार का जरिया समझा है? क्या आपने कभी टॉयलेट के पानी को खरीदने या बेचने के बारे में सोचा है? आप यह खबर सुनकर हैरान हो जाएगे, लेकिन यह टॉयलेट का पानी बड़े काम की चीज़ है। इस पानी से आप करोड़ो के मालिक बन सकते हैं, नागपुर की एक सरकारी एजेंसी ने टॉयलेट के पानी से करोड़ों रुपये कमाए हैं।

आप जिस टॉयलेट के पानी को गंदा समझते हैं उसी को नागपुर में सरकारी एजेंसी ने 78 करोड़ रुपये में बेचा है। केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने बताया कि नागपुर में वैकल्पिक ईंधन को लेकर कई प्रयोग किए जा रहे हैं। इनमें से एक टॉयलेट के पानी से बायो सीएनजी निकालकर उससे बस चलाने की योजना है। अब इस पानी से शहर में 50 एसी बसें चलाई जा रही हैं।

गडकरी ने बताया किपानी की गंदगी से निकलने वाली मीथेन गैस से बायो सीएनजी तैयार की जाएगी, जिससे इन 26 शहरों में सिटी बसें चलेंगी। इस काम से 50 लाख युवाओं को रोजगार मिलेंगे। उन्होंने बताया कि पेट्रोलियम मंत्रालय के अधीन काम करने वाली तेल व गैस कंपनियों के साथ एक करार किया गया है, जिसके तहत गंगा किनारे बसे 26 शहरों को लाभ मिलेगा। इससे गंगा की सफाई भी होगी।

इससे मीथेन निकालकर मुंबई, पुणे व गुवाहाटी में सिटी बस चलाने की तैयारी शुरू कर दी गई है। उन्होंने बताया कि 62 रुपये प्रति लीटर के डीजल की कीमत के बराबर काम करने वाली मीथेन की कीमत 16 रुपये पड़ती है और देश में वैकल्पिक ईंधन को लेकर कई प्रकार के प्रयोग किए जा रहे हैं।

आने वाले दिनों में बायो फ्यूल से न केवल तेल आयात पर देश की निर्भरता कम होगी, बल्कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी यह कदम महत्वपूर्ण साबित होगा। बायो फ्यूल के इस्तेमाल से विमानन कंपनियों को घाटे से उबरने में भी मदद मिलेगा। इससे कंपनियों की ईंधन पर खर्च होने वाली लागत में कमी आएगी।

बता दें कि पीएम मोदी ने वर्ल्ड बायोफ्यूल डे पर नाले की गैस से चाय बनाने वाले श्याम राव विर्के के बारे में बताया था। श्याम राव ने नालियों से पानी इकट्ठा किया और और पानी के बुलबुले इकट्ठा करने के लिए मिनी ‘कलेक्टर’ बनाया था। गैस होल्डर के लिए उन्होंने एक ड्रम का इस्तेमाल किया था।

उन्होंने बताया था कि मैंने जब इसका परीक्षण किया तो यह काम करने लगा। इसे मैंने गैस स्टोव से जोड़ा और फिर चाय बनाने लगा। फिर मैंने इसे उस घर में लगाया जहां चार-पांच महीने के लिए खाना बनाया गया। आम लोग भी पर्यावरण को लेकर जागरूक हो रहे हैं। लोग भी नई-नई तकनीकों के जरिए गंदगी को पैसे कमाने का जरिया बना रहे हैं।

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