एक रात में बनकर तैयार हुई थी आभानेरी की रहस्यमयी चाँद बावड़ी
आभानेरी राजस्थान के दौसा जिले में है। ये ऐसी बावड़ी है जो आपका मन मोह लेगी। चाँद बावड़ी में सीढ़ियां इस प्रकार बनी है ये अपने आप मे अद्भुत है। और कहा जाता है कि आप जिन सीढ़ियों से नीचे उतरोगे उनसे आप ऊपर नही आ पाएंगे।
चाँद बावड़ी के बारे मेंचाँद बावड़ी का निर्माण गुर्जर सम्राट मिहिर भोज ने 8 वीं सदी में कराया था। बावड़ी के पास में ही प्राचीन हर्षद माता का मंदिर है। आभनेरी की चाँद बावड़ी भारत मे ऐतिहासिक दृष्टि से बहुत ही प्राचीन है।
हर्षद माता का मंदिर: हर्षद माता जैसा कि नाम से पता चलता है माता खुशी और आनन्द की देवी है। हर्षद माता वहाँ के रहने वाले लोगो आने वाली परेशानियों के बारे में पहले ही बता दिया करती है। हर्षद माता का मंदिर आस्था का प्रतीक है।
हर्षद माता का मंदिर चाँद बावड़ी के सामने है। शायद जो लोग दर्शन करने आये वो अपने हाथ पांव बावड़ी में धो सके। हर्षद माता के मंदिर में पहले छ फुट लंबी माता जी की नीलम पत्थर से बनी मूर्ति थी। लेकिन 1968 में वो मूर्ति चोरी हो गयी थी। इसके बाद वहां के नागरिकों ने मिलकर माता की मूर्ति को पुनः सीमेंट से बनवाया।
ऐसा कहा जाता है कि महमूद गजनवी ने मंदिर में तोड़-फोड़ की व मूर्तियों को क्षतिग्रस्त कर दिया था और अब वे मूर्तिया बावड़ी परिसर में सुरक्षित है। 18 वीं सदी में जयपुर के महाराजा द्वारा इसका पुनः जीर्णोद्धार करवाया।
एक रात में तैयार हुई थी चाँद बावड़ी : चाँद बावड़ी को लेकर ऐसा कहा जाता है कि यह बावड़ी एक रात में बनकर तैयार हुई थी । आपको बता दूं कि इस बावडी में एक गुफा भी है जो 17 किलोमीटर दूर भांडारेज(दौसा)में निकलती है। बताया जाता है कि इन बावड़ियों का निर्माण भूत प्रेतों ने करवाया था और कहा जाता है कि अगर इस बावडी में कुछ गिर जाए तो वो दुबारा नही मिलता है।
ऐसा भी कहा जाता है कि इस बावड़ी में एक सोने का हाथी भी दिखता है। बताया जाता है कि एक बार बावड़ी की सुरंग में पूरी बारात गायब हो गई थी जो आज तक भी एक रहस्यमय है।