विश्व का एकमात्र “कशेरुक प्राणी”, जिसका खून होता है सफेद
“क्रोकोडाइल फिश” या “सफेद खून की मछली”। इसका चेहरा ‘मगरमच्छ’ से मिलता-जुलता महसूस होता है। यह मछली दक्षिणी महासागर के आसपास अंटार्टिका’ अटलांटिक’ और भारती समुद्री सीमाओं के आसपास मिलती है। यह लगभग 1 से 2 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान वाले पानी में मिलती है।
***इसका “रक्त सफेद” या “श्वेत” होता है !
विश्व की एकमात्र कशेरुक प्राणी हैं (अर्थात जिनके शरीर में रीढ़ की हड्डी पाई जाती है)। जिनके रक्त में हीमोग्लोबिन नहीं पाया जाता। हिमोग्लोबिन के कारण ही रक्त में लाल रंग दिखाई पड़ता है।
रक्त में ‘हिमोग्लोबिन’ नहीं होने के कारण उनका ‘रक्त’ , लाल ना होकर “सफेद” दिखाई पड़ता है।
हालांकि, रक्त का सूक्ष्म अध्ययन करने पर ‘हिमोग्लोबिन’ के अवशेष दिखाई पड़ते हैं। अर्थात आज से हजारों लाखों वर्ष पूर्व संभव है, इन के रक्त में हीमोग्लोबिन पाया जाता था।
‘हिमोग्लोबिन’ की कमी को पूरा करने के लिए उनके शरीर में सामान्य मछलियों की तुलना में 4 गुना अधिक रक्त होता है। तुलनात्मक रूप से उनका दिल भी ज्यादा बड़ा और ज्यादा कार्य करने वाला होता है। इनकी रक्त वाहिकाएं भी सामान्य मछलियों की तुलना में अधिक बड़ी होती है। दिल में कोरोनरी धमनी का अभाव होता है। यह स्थिति इनके शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी को पूरा करने में सक्षम होती है । इनकी त्वचा ऑक्सीजन को अवशोषित कर हृदय में ऑक्सीजन की आपूर्ति करने में सहायक होती है।