There is still a place in India where the treasure of billions is buried

भारत में आज भी है ऐसी जगह जहाँ दफन है अरबों का खजाना

हिमाचल अपनी प्राकृतिक सुन्दरता और अपने मनोरम दृश्यों के लिये दुनिया भर में प्रसिद्ध है। यहां के घने जंगल पहाड़ झीलें सब बेहद खू़बसूरत हैं। हर तरह के मंदिर नदियां झरने सबको देखकर बेहद अच्छा लगता है। आज तक आप लोगों ने फिल्मों में या किस्से कहानियों में खजाने की बातें सुनी होगी पर आज हम आपको एक ऐसी असली जगह के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां सच में आपको अरबों के खजाने की जानकारी मिल सकती है।

यहां दफन है अरबों का खजाना – समुद्र में कई ऐसे डूबे हुए जहाजों की खोज की जाती है, जिनमें खजाना हुआ करता था लेकिन आज हम आपको एक ऐसी झील के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं जिसके बारे में सुनने में आता है कि उसमें अरबों खरबों की सम्पत्ति दफन है।

हिमाचल में है यह झील – यह झील जिस जगह है वह हिमाचल प्रदेश में बसा हुआ है | यह मण्डी से लगभग 60 किलोमीटर दूरी पर आता है । रोहांडा से ही लोगों की पैदल यात्रा शुरू हो जाती है। लोगों को घने जंगल से और कठिन रास्ते से होकर गुजरना प़डता है। लगभग 8 किलोमीटर की दूरी तक चलना पडता है। यह समुन्दरतल से लगभग 3200 मीटर ऊपर है।

प्रकट होते हैं देवता – हिमाचल प्रदेश में स्थित इस झील का नाम है कमरूनाग झील, जो कि बड़े बड़े पहाड़ों के बीच है। साल में 14 और 15 जून को यहां मेला लगता है। इन दो दिनों में बाबा कमरूनाग सबको दर्शन देते हैं। इसलिये इन दो दिनों में यहां मानो जन सैलाब आ जाता है। ऐसा माना जाता है कि बाबा इस जगह के देवता हैं और सबकी मनोकामना पूरी करते हैं |

पाताल में जाता है इस झील का रास्ता – हजारों की संख्या में लोगों की भीड़ यहां आती है। प्राचीन समय से ऐसा माना जाता है कि यहां सोने चाँदी के जेवर सिक्के डालने से कोई भी मान्यता पूरी हो जाती है और यह भी माना जाता है कि इस झील का रास्ता सीधे पाताल में जाता है। जो कुछ लोग उसमें डालते हैं वह सीधे पाताल में देवताओं को अर्पित होता है।

बेहद कठिन रास्ता है इस जगह का – लोहड़ी पर इस जगह भव्य पूजा का आयोजन होता है। इस जगह ठंड के दिनों में जाना काफी मुश्किल होता है। इस वक्त यहां जोरदार बर्फ पड़ती है। ऐसे में यहां केवल वही लोग पहुँच पाते है जिन्हें इस जगह का काफी अनुभव हो चुका है। जो काफी बार यहां आ चुके हैं। कमरुनाग झील के इस राज के बारे में और यहां दबे हुए खजाने की बातें आस-पास के सभी इलाकों में होती है। इस झील के चारों ओर देवदार के बेहद घने जंगल हैं। यह झील कसोर घाटी में स्थित है । झील के किनारे पर देवता का एक काफी पुराना मंदिर है, जो पहाड़ी शैली का अदभुत नमूना है। मंडी जिले के कमराह गांव में यह मंदिर स्थित है। एक बेहद घने जंगल में स्थित है। मंदिर काफी छोटा है, पर यहां हर साल आने वाले भक्तों की तादाद बढ़ती ही जाती है। कमरुनाग झील मंडी जिले से 9 हजार फीट ऊपर है। सर्दी के दिनों में यह झील पूरी तरह से जम जाती है।

नाग देवता करते है खजाने की रक्षा – नाग के आकार का पहाड़ इस झील के खजाने की रक्षा करता है। वह इसके चारों ओर फैला हुआ है। लोगों का कहना है कि यदि कोई इस खजाने को हाथ भी लगाये तो यह सच में अपने रुप में आ जाता है। नाग देवता इसकी रक्षा स्वयं करते हैं|

खजाने पर बुरी नजर रखने वालों का होता है ये हाल – आस पास के लोगों का कहना है कि यहां से कोई भी इन पैसों को नहीं ले जा पाता है। पुरानी मान्यताओं के अनुसार एक बार एक अंग्रेज ने इस झील से सोना निकालने का प्रयास किया था। लेकिन वह इसमें कामयाब ना हो सका और काफी बीमार हो गया ।

महाभारत से सम्बन्ध – महाभारत में भी कमरूनाग जी का जिक्र आता है। ये पृथ्वी के सबसे शक्तिशाली मानव थे। लेकिन कृष्ण की नीति से यह हार गए । इन्होने महाभारत में कहा था कि इन्हें कौरवों और पांडवों का युद्ध देखना है और जो सेना इन्हें कमजोर होती नजर आयेगी वह उनका ही साथ देंगे ऐसा सुनकर कृष्ण भी असमंजस में पड़ गए कि इस तरह यदि इन्होंने कौरवों का साथ दे दिया तो पाण्डवों का जीतना मुश्किल हो जायेगा । कृष्ण जी ने अपने चतुर दिमाग से एक शर्त लगा कर इन्हें हरा दिया और बदले में इनका शीश मांग लिया। लेकिन कमरुनाग जी ने एक इच्छा जताई कि वो महाभारत का युद्ध देखना चाहते हैं । इसलिए कृष्ण ने इनके सिर को हिमालय के एक शिखर पर पहुंचा दिया। लेकिन जिस ओर इनका सिर घूमता वह सेना जीतने लगती। तब भगवान ने सिर को एक पत्थर से बाँधा और पांडवों की तरफ घुमा दिया। इन्हें पानी की प्यास ना लगे इसलिये भीम ने हथेली को नीचे मारकर ये झील बना दी। तब से कमरूनाग जी यहीं पर रहते हैं ऐसा माना जाता है।

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