गणेश जी के जन्म से जुड़ी है यह तीन रोचक कथाएं जिसको हर किसी व्यक्ति को जानना चाहिए

हर साल बडे जश्न के साथ मनाया जाने वाला गणेश चतुर्थी का त्यौहार फिर से दस्तक देने को है। गणेश चतुर्थी इस साल 22 अगस्त को है और गणेश चतुर्थी हिंदूओं का दस दिन तक चलने वाला त्यौहार होता है जिसमें वो अपने देवता गणेश के जन्म तौर पर मनाते हैं। गणेश शंकर और पार्वती के बेटे हैं। जिन्हें 108 नामों से जाना जाता है। सभी देवताओं में सबसे पहले गणेश की ही पूजा की जाती है।

1 .शिवपुराण के मुताबिक एक बार शिवजी के गण नंदी द्वारा आज्ञा का पालन नहीं करने पर माता पार्वती नाराज हो गईं। तब उन्‍होंने ठान लिया कि मैं ऐसा पुत्र प्राप्‍त करूंगी जो मेरी आज्ञा का पालन करे और मेरी रक्षा करे। तब उन्‍होंने अपने शरीर के मैल और उबटन से अपने पुत्र का निर्माण किया। एक बार वह स्‍नान करने गईं और बाहर अपने इस पुत्र को खड़ा कर गईं। कुछ देर बात वहां भगवान शिव आए और माता पार्वती के पास जाने लगे तो उस बालक ने उन्‍हें रोकने का प्रयास किया।यह देखकर भगवान शंकर को क्रोध आ गया और उन्‍होंने बिना कुछ सोचे समझे उसका सिर धड़ से अलग कर दिया और अंदर चले गए।

माता पार्वती ने दो थालियों में भोजन परोसकर भगवान शिव को आमंत्रित किया। तब दूसरी थाली देख शिवजी ने पूछा कि यह किसके लिए है। पार्वती बोलीं, ‘यह मेरे पुत्र गणेश के लिए है जो बाहर द्वार पर पहरा दे रहा है। क्या आपने आते वक्त उसे नहीं देखा?’ यह बात सुनकर शिव बहुत हैरान हुए और पार्वती को सारा वृत्तांत सुनाया। यह सुन देवी पार्वती क्रोधित होकर विलाप करने लगीं। तब पार्वती को प्रसन्न करने के लिए भगवान शिव ने एक हाथी के बच्चे का सिर काट कर बालक के धड़ से जोड़ दिया और इस प्रकार वह बालक बन गया गणेश

2 .वराहपुराण के मुताबिक भगवान शिव ने गणेशजी को पचंतत्वों से बनाया है। जब भगवान शिव गणेश जी को बना रहे थे तो उन्होंने विशिष्ट और अत्यंत रुपवान रूप पाया। इसके बाद यह खबर देवताओं को मिली। देवताओं को जब गणेश के रूप और विशिष्टता के बारे में पता लगा तो उन्हें डर सताने लगा कि कहीं ये सबके आकर्षण का केंद्र ना बन जाए। इस डर को भगवान शिव भी भांप गए थे, जिसके बाद उन्होंने उनके पेट को बड़ा कर दिया और मुंह हाथी का लगा दिया।

3 .श्री गणेश चालीसा में वर्णित है कि माता पार्वती ने पुत्र प्राप्ति के लिए कठोर तप किया। इस तप से प्रसन्न होकर स्वयं श्री गणेश ब्राह्मण का रूप धर कर पहुंचे और उन्हें यह वरदान दिया कि मां आपको बिना गर्भ धारण किए ही दिव्य और बुद्धिमान पुत्र की प्राप्ति होगी। ऐसा कह कर वे अंतर्ध्यान हो गए और पालने में बालक के रूप में आ गए।

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