सावन की शिवरात्रि पर किस मंत्र को जपने से मिलेगा मनचाहा फल

भगवान शिव की पूजा के लिए सबसे उत्तम सावन का पवित्र महीना होता है। यह महीना भगवान शिव को बहुत ही प्रिय है। शिवरात्रि का महापर्व 20 जुलाई को पड़ेगा। इस दिन विधि-विधान से महादेव की पूजा, अर्चना एवं मंत्र जप करने से दुर्भाग्य दूर होता है और सुख, संपत्ति और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि तीनों लोकों के स्वामी भगवान शिव पूरे सावन मास पृथ्वी पर निवास करते हैं।

जब भगवान विष्णु देवशयनी एकादशी से चार महीने के लिए क्षीर सागर में विश्राम करते हैं तो सृष्टि का संचालन भगवान भोलेनाथ अपने कंधों पर ले लेते हैं। ऐसे में पृथ्वी पर उनके जितने भी शिवलिंग हैं, उनकी पूजा-अर्चना का विशेष फल मिलता है।शिवरात्रि के शुभ अवसर पर भगवान शिव को प्रसन्न करके उनसे धन,आयु, यश, आदि का आशीर्वाद पाने के लिए आप नीचे दिए गए पूजा के उपाय और मंत्र जप अवश्य करें। भगवान शिव को धतूरे के फूल बहुत प्रिय होते हैं। इसके अलावा हरसिंगार, नागकेसर के सफेद पुष्प, कनेर, आक, कुश आदि के फूल भी भगवान शिव को चढ़ाने का विधान है, लेकिन कभी भी भगवान शिवजी को केवड़े का फूल और तुलसी दल ना चढ़ाएं।

भगवान शिव के मंत्र का उपयोग मुख्य रूप से मृत्यु भय, बाधा आदि को दूर करने के लिए किया जाता है। महादेव के मंत्रों का जाप करने से सभी प्रकार के रोग, दु:ख, भय आदि से मुक्ति मिलती है। शिव मंत्र में एक व्यक्ति की आंतरिक क्षमता और शक्ति में वृद्धि होती है। महादेव के मंत्र जप से जन्म कुंडली में नकारात्मक प्रभाव डाल रहे ग्रहों के दोषों का भी अंत हो जाता है।

नम: शिवाय॥

ॐ ह्रीं ह्रौं नम: शिवाय॥

ॐ पार्वतीपतये नम:॥

ॐ पशुपतये नम:॥

ॐ नम: शिवाय शुभं शुभं कुरू कुरू शिवाय नम: ॐ ॥ महामृत्युंजय मंत्र-

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनानत् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।।

देवों के देव महादेव की पूजा में शिव पंचाक्षर स्तोत्र का पाठ करना अत्यंत कल्याणकारी माना गया है। इसके पाठ करने से जीवन में सफलता प्राप्त होती है और राह में आ रही सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं।

नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांग रागाय महेश्वराय|
नित्याय शुद्धाय दिगंबराय तस्मे “न” काराय नमः शिवायः॥

मंदाकिनी सलिल चंदन चर्चिताय नंदीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय|
मंदारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय तस्मे “म” काराय नमः शिवायः॥

शिवाय गौरी वदनाब्जवृंद सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय|
श्री नीलकंठाय वृषभद्धजाय तस्मै “शि” काराय नमः शिवायः॥

वषिष्ठ कुभोदव गौतमाय मुनींद्र देवार्चित शेखराय|
चंद्रार्क वैश्वानर लोचनाय तस्मै “व” काराय नमः शिवायः॥

यज्ञस्वरूपाय जटाधराय पिनाकस्ताय सनातनाय|
दिव्याय देवाय दिगंबराय तस्मै “य” काराय नमः शिवायः॥

पंचाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेत शिव सन्निधौ|
शिवलोकं वाप्नोति शिवेन सह मोदते॥
शिव पंचाक्षर स्तोत्र की तरह गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा लिखा गया श्री रुद्राष्टकम् स्तोत्र की स्तुति करने से भी भगवान शिव बहुत जल्दी प्रसन्न होकर जीवन से जुड़ी सभी बाधाओं को दूर करते हुए अपने भक्त का कल्याण करते हैं। सभी मनोकामनाओं को पूरा करने वाला रुद्राष्टकम् स्तोत्र इस प्रकार हैं।

॥ श्रीरुद्राष्टकम् ॥

नमामीशमीशान निर्वाणरूपं विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम् ।
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहम् ॥ 1 ॥

निराकारमोंकारमूलं तुरीयं गिरा ज्ञान गोतीतमीशं गिरीशम् ।
करालं महाकाल कालं कृपालं गुणागार संसारपारं नतोऽहम् ॥ 2 ॥

तुषाराद्रि संकाश गौरं गभीरं मनोभूत कोटिप्रभा श्री शरीरम् ।
स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारु गङ्गा लसद्भालबालेन्दु कण्ठे भुजङ्गा ॥ 3 ॥

चलत्कुण्डलं भ्रू सुनेत्रं विशालं प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम् ।
मृगाधीशचर्माम्बरं मुण्डमालं प्रियं शंकरं सर्वनाथं भजामि ॥ 4 ॥

प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं अखण्डं अजं भानुकोटिप्रकाशम् ।
त्रयः शूल निर्मूलनं शूलपाणिं भजेऽहं भवानीपतिं भावगम्यम् ॥ 5 ॥

मंत्र जप हमेशा मन में करने की कोशिश करें अथवा धीमी आवाज में करें। मंत्र जप के दौरान महादेव के सामने दीप-धूप जलती रहनी चाहिए। मंत्र जप हमेशा उत्तर या पूर्व की दिशा की ओर करके करें। महाशिवरात्रि के दिन किसी मंदिर में बैठकर इनमें से किसी भी मंत्र का एक निश्चित संख्या में जप करने से शिव कृपा प्राप्त होती है। अगर मंदिर में जप करना संभव नहीं हो तब गौशाला या नदी किनारे बैठकर इस मंत्र का जप कर सकते हैं।

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