Why do pregnant women get scared after hearing the name of solar eclipse, know the reason behind it

सूर्य ग्रहण का नाम सुनते ही क्यों डर जाती हैं गर्भवती महिलाएं,जानिए इसके पीछे की वजह

दोस्तों जैसा कि आप सभी जानते हैं कि दुनिया में ऐसे बहुत सारे धारणा ही होती हैं जिसे लोग मानते हैं लोगों का मानना है कि जब सूर्य ग्रहण लगता है तो गर्भवती महिला को कुछ खाना पीना नहीं चाहिए उनसे उनके बच्चे पर असर पड़ता है। आज हम बताने वाले तो चलिए आपको उसके बारे में बताते हैं.

चन्द्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण एक भौगोलिक घटना है, इसके बावजूद भी अधिकांश गर्भवती महिलाएं और उनका परिवार ग्रहण को लेकर थोड़ा परेशान रहता हैं. जब भी ग्रहण लगता है तो गर्भवती महिलाओं पर कई नियम बना दिए जाते है.

उन नियमो के अनुसार ही महिलाओं को चलना पड़ता है. लेकिन किसी ने कभी इस बात पर विचार किया है की ग्रहण के नाम पर गर्भवती महिलाएं और उनका परिवार परेशान क्यों रहता है.

आंखों और लीवर की परेशानियां :-

पुराणों के अनुसार मान्यता है की राहु चंद्रमा को और केतु सूर्य को ग्रस लेता है, यह दोनों ही छाया की संतान हैं, जो सूर्य और चंद्रमा की छाया के साथ-साथ ही चलते हैं. कहा जता है की चंद्र ग्रहण से व्यक्ति की सोचने समझने की शक्ति में कमी हो जाती है, जबकि सूर्य ग्रहण व्यक्ति की आखो और लीवर की परेशानियों का कारण बनता है. इन कारणों के चलते बड़े- बुजुर्ग गर्भवती स्त्री पर सूर्य ग्रहण की छाया नहीं पड़ने देते है. और उन महिलाओं को सूर्यग्रहण देखने से मना करते है. यदि गर्भवती महिला सूर्यग्रहण को देखती है तो उसका शिशु विकलांग बन सकता है.

ऐसा माना जाता है की यह घटना अंतरिक्ष में होती है, जहा अधिक ऊर्जा का हनन होता है. यह ऊर्जा महिला के पेट में पल रहे बच्चे के लिए नुकसानदायक सिद्ध होती है, और उनके गर्भपात की संभावना बहुत ज्यादा बढ़ जाती है.

कई स्थानों पर तो गर्भवती महिलाओं को खाने-पीने से भी परहेज करने के लिए कहा जाता है. इस स्थिति में यदि अधिक समय का ग्रहण होता है तो महिलाओं के लिए यह स्थिति विकट हो जाती है. डाक्टर्स इन बातों को बिल्कुल भी नहीं मानते है क्यों की प्रेग्नेट महिलाओं को हर दो घंटे में भोजन करना होता है, इसे में लम्बे समय के सूर्यग्रहण से महिलाओं को अधिक देर तक खाने से वंछित रहना पड़ता है.

अधिकतर देखा जाता है की घर की बुजुर्ग महिलाए गर्भवती महिलाओं के पेट पर गोबर और तुलसी का लेप लगाती है, ताकि ग्रहण में बच्चे को पेट में ठंडक मिलती रही.

ग्रहण की अवस्था में महिलाओं को कैंची या चाकू का इस्तेमाल करने पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है. कहा जता है कि ग्रहण के समय ऐसा करने से बच्चे के अंग कट जाते है या फिर आपस में जुड़ जाते है.

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