Why the head of a burning corpse is blown off in Hinduism

हिंदू धर्म में जलती हुई लाश का सिर डंडे से क्यों फोड़ा जाता है,जानिए


हिंदू रीति-रिवाज में जन्‍म से लेकर मुत्‍यु तक 16 संस्‍कार होते हैं।जिसमें से दाह संस्‍कार को हिंदू धर्म में अंतिम संस्‍कार कहा जाता है। अंतिम संस्‍कार के दौरान एक मृत शरीर को जलाकर इस दुनिया से विदा किया जाता है।

अंतिम संस्‍कार के दौरान भी कई तरह की रस्‍मों की अदायगी की जाती है जैसे सिर मुंडवाना, मृत शरीर के चारों तरफ चक्‍कर लगाना और जलती चिता में से लाश की सिर को डंडे से फोड़ना। जी हां, हम में से कई लोग तो इस रस्‍म या विधि के बारे में तो जानते ही नहीं होंगे।

इस रस्‍म के पीछे भी एक तर्क है जिसके बारे में हम आज जानेंगे कि क्‍यों हिंदू धर्म में जलती चिता में से खोपड़ी या सिर को डंडा से तोड़ा जाता है।

शास्‍त्रों के अनुसार एक मनुष्‍य के शरीर में 11 द्वार होते हैं।माना जाता है कि आत्‍मा या जिव बह्मरंध्र (मस्तिष्‍क के द्वार ) से शरीर में प्रवेश करती है।जिवा या आत्मा आपके कर्मों के आधार पर इन दरवाजों के माध्यम से शरीर से निकलती है। ब्रह्म रंध्र को शरीर में मौजूद 11 द्वार में से उच्‍च माना गया है।

ऐसा माना जाता है कि जो जिव या आत्‍मा सिर से निकलती है वह मोक्ष प्राप्त करके जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाती है। इस विधि को ‘कपाला मोक्षम’ भी कहा जाता है।

हालांकि ये विधि गुरु के मार्गदर्शन के बिना हासिल करना एक कठिन काम है। इसलिए मृतक के रिश्तेदारों मृत शरीर का सिर या तो कपाली पर डंडे से मारते हैं।

क्‍यों तीन बार मारा जाता है डंडा?

ये एक तरह का रस्‍म है, एक बार जब चिता जल जाती है तो तब कर्ता ( मुखाग्नि देने वाला ) बांस के डंडे से मृत व्‍यक्ति की खोपड़ी पर 3 बार मारता है।

क्‍योंकि एक बार में वो आसानी से नहीं टूटती है इसल‍िए 3 बार मारते हैं परंतु जब वो खोपड़ी या कपाली को 3 बार डन्डा मारकर तोड़ते हैं तो गर्मी की वजह से वह आसानी से टूट जाती है। दूसरा तर्क यह भी दिया जाता है की आत्मा का दुरूपयोग होने से बचाने के लिए इसे तोड़ दिया जाता है।धारणा यह भी है की तांत्रीक लोग उस शरीर के सिर की फिराक में रहते हैं जिससे कि आत्मा का दुरोपयोग किया जा सके ओर उसको प्रभाव में ले कर गल्त काम करवाए जा सके।

क्या होता है आत्मा का:

शास्त्रों में लिखा है की शरीर मरता है आत्मा कभी नहीं मरतीै। किसी के भी मरने पर आत्मा तुरंत ही दूसरे गर्भ में चली जाती है। कहते हैं की जब कोई आत्मा शरीर छोड़ती है तो वह पूरी तरह से धरती को छोड़ नही पाती है। कुछ दिनों तक वह अपने परिजनों के पास रहती है जब तक के वह स्वर्ग में बेहतर तरीके से बस नही जाती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *