कामदेव और शिव की तीसरी आँख का क्या रहस्य है?
शिव ने अपनी तीसरी आंख खोली और उससे निकली दिव्य अग्नी से कामदेव जल कर भष्म हो गया. सच्चाई यह है कि यह कथा प्रतिकात्मक है जो यह दर्शाती है कि कामदेव हर मनुष्य के भीतर वास करता है पर यदि मनुष्य का विवेक और प्रज्ञा जागृत हो तो वह अपने भीतर उठ रहे अवांछित काम के उत्तेजना को रोक सकता है और उसे नष्ट कर सकता हैं.
भक्त भी पा सकते हैं शिव के भांति तीसरी आंख
भारतीय संस्कृति में अनेक देवताओं का वर्णन मिलता है. हर देवता का चरित्र, रंग-रूप और वेश-भूषा एक दूसरे से भिन्न. यहां एक उपासक के पास यह सुविधा है कि वह अपने व्यक्तिगत पसंद और क्षमता के अनुसार उस देवता का चुनाव करे .
जिनका चरित्र उसे सर्वाधिक आकर्षित करता है और जिसे वह आत्मसात करना चाहता है. दरअसल संस्कृत शब्द ‘उपासना’ का अर्थ ही है ‘पास बैठना’ यानी अपने आराध्य के निकट से निकट पहुंचना.