क्या चंबल घाटी में अब डाकुओं का राज खत्म हो चुका है? क्या हम चंबल घाटी में घूमने जा सकते हैं?
“चंबल का इलाका डाकुओं का गढ़” यही जानते हैं ना सब। तो सर, सच्चाई ये है चंबल अब डाकुओं से पूरी तरह मुक्त हो चुका है। (चंबल के बीहड़ में जहाँ किसी जमाने में डाकू रहते थे, मध्यप्रदेश का भिण्ड़ – मुरैना और राजस्थान का कुछ हिस्सा आता है।)
चंबल घाटी में मैं सिर्फ भिण्ड जिले की बात करूँगी। मुझसे बेहतर आपको कोई नहीं बता सकता , क्योंकि मेरा जन्म भिण्ड में हुआ था, हम हर साल अपने गाँव जाते हैं, हम आज भी अपनी जड़ों से जुडे हैं।
ऐतिहासिक विवरण – भिंड किला 18वीं शताब्दी में भदावर राज्य के शासक गोपाल सिंह भदौरिया ने बनवाया था। भिण्ड किले का स्वरूप आयताकार रखा गया था, प्रवेश द्वार पश्चिम में है। इस आयताकार किले के चारों ओर एक खाई बनाई गई थी। दिल्ली से ओरछा जाने के मार्ग के मध्य मेंं होने से यह किला अत्यन्त महत्वपूर्ण था।वर्तमान मेंं ये सुन्दर भवन खण्डहर मेंं परवर्तित होकर नष्ट हो चुका हैंं।
कहा जाता है कि भिण्ड जिला जब से सिन्धिया के अधीन हुआ तभी से भदौरिया राजाओं की निर्माणकला के नमूने खण्डहर कर दिये गये थे। तत्कालीन भिण्ड प्रदेश के भदावर तथा कछवाहोंं के लिये दौलतराव सिन्धिया एक क्रूर शासक के समान था, जिसने उनकी स्वतन्त्र सत्ता का अन्त कर दिया।
भिण्ड जिला जबसे सिन्धिया के अधीन हुआ तभी से भिण्ड के किले मेंं सभी कार्यालय स्थापित कर दिये गये थे। उस समय जिलाधीश को सूबा साहब कहा जाता था, तब से लेकर नवीन भवन बनने तक कलेक्टर कार्यालय तथा कचहरी, दफ्तरोंं व कोषालय सहित समस्त आफिस भिण्ड किले मेंं ही स्थापित रहे। आज के समय में किले के दरबार हाल मेंं पुरातत्व संग्रहालय है। एक भाग मेंं शासकीय कन्या महाविद्यालय संचालित है, एक भाग मेंं होमगार्ड कार्यालय तथा सैनिकोंं के निवास हैंं। शेष भाग वीरान पडा है, जो धीरे धीरे खण्डहर होता जा रहा है। किले की चारो ओर की प्राचीर मेंं अतिक्रमणकारी खुदाई मेंं लगे रहते हैंं, इससे इस इतिहासिक धरोहर को क्षति पहुँच रही है। दुखद बात ये है कि पुरातत्व विभाग भी इसकी देखरेख में कोई रूचि नहीं ले रहा।
वर्तमान स्थिति – ऐसा माना जाता है कि भिण्ड का नाम महान भिन्डी ऋषि के नाम पर रखा गया है। भिंडी ऋषि च्यवन ऋषि के वंसज थे जो यदुवंश से थे। इनका काल भारतीय धर्म ग्रंथो के अनुसार सतयुग है।
- भिण्ड जिले को भदावरगार (भदौरियों का राज्य) भी कहा जाता है।
- भिंड जिला भोपाल, इंदौर और जबलपुर के बाद मध्यप्रदेश का सर्वाधिक पुरूष साक्षर जिला है।
- भारत के सर्वाधिक साक्षर जिलों में से एक भिण्ड, मंत्रमुग्ध कर देने वाली वास्तुकला के लिए भी जाना जाता है।
- भिंड चम्बल नदी के बीहड़ के लिए भी प्रसिद्ध है, जहाँ कुछ समय पहले तक डाकुओं का राज़ रहा। लेकिन आज के समय में भिण्ड की एक नई पहचान बनी है। भिंड जिले से करीब 30,000 सैनिक देश की सुरक्षा में तैनात हैं। सबका नहीं पता पर मेरे ही गाँव में सभी परिवारों में जितने बेटे हैं, उनमें से शारीरिक तौर पर अक्षम या छोटे कद वालों को छोडकर सभी बेटे सेना में हैं।
- मालनपुर यहाँ का औद्योगिक क्षेत्र है, जो कि गोहद तहसील में ही पड़ता है। जिसे सूखा पॉर्ट भी कहा जाता है।
अब बात करते हैं आप घूमने आ सकते हैं या नहीं। तो हाँ, भिण्ड डाकुओं से पूरी तरह मुक्त है, आप यहाँ घूमने आ सकते हैं। मैं आपको यहाँ के पर्यटन स्थलों के बारे में थोडी जानकारी देती हुँ।
- अटेर का किला – इसका निर्माण भदौरिया राजा बदन सिंह, महा सिंह और बखत सिंह द्वारा 1664-1668 के काल में किया गया था। इनके नाम पर ही इस क्षेत्र को “भदावर” के नाम से जाना जाता है l यह चंबल की गहरी वादियों के अन्दर स्थित है l वर्तमान में यह खंडहर की अवस्था में हैl ‘खूनी दरवाजा’(इसकी एक अलग कहानी है) , ‘बदन सिंह का महल’, ‘हथियापुर’, ‘राजा का बंगला’, ‘रानी का बंगला ‘ और ’बारह खंबा महल’ किले के मुख्य आकर्षण हैं। भिण्ड किले से लगभग 30 किमी दूर ये किला स्थित है। भव्यता में शायद ये आपको अच्छा ना लगे, क्योंकि अन्य किलों की तरह इसका कभी रखरखाव नहीं किया गया, किन्तु अगर आप ऐतिहासिक इमारतों के शौकीन हैं, तो ये किला आपको पसंद आयेगा।