तेज – तर्रार पत्नी ने पूछा – यदि तुम साडी पहनकर घर में रहो तो क्या होगा ?दब्बू पति – कुछ भी नहीं बस…..

साहित्य प्रेमी दूल्हा सुहागरात को अपनी दुल्हन से बोला – प्रिय , आज से ही तुम मेरी कविता हो , भावना हो कामना हो

दुल्हन ने यह सुनकर दूल्हे से कहा – मेरे लिए भी आज से तुम ही मेरे दिनेश हो ,सुरेश हो , राकेश हो ,

भिखारी- कुछ पैसे दे दो , मां जी ! बुढिया -लो यह एक रुपया ले लो

भिखारी -एक रुपया लेकर जाने लगा

बुढिया – सुनों भीख तो तुम्हें मिल गई अब थोडा आशीर्वाद तो दे दो

भिखारी -कार में तो बैठी हो , अब क्या आसमान में बैठना चाहती हो?

एक हाथी किश्तियों का पुल पार कर रहा था कि उसकी पीठ पर एक मक्खी बैठ गई |

बीच नदी में पुल जोर से चरमराने लगा तो मक्खी बोली -पार पहुंच जाएगा या मैं उतरूं ?

तेज – तर्रार पत्नी ने पूछा – यदि तुम साडी पहनकर घर में रहो तो क्या होगा ?
दब्बू पति – कुछ भी नहीं
पत्नी ( आंखे गुर्राते हुए ) – क्यों ?
पति – क्योंकि मैं घर के कपडे और बर्तन आज भी धोता हूं और तब भी धोऊंगा

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