भारत में पहली बार शबनम नाम की महिला को होने वाली फांसी की सजा के बारे में आप क्या कहेंगे ?
मेरी राय मे इतना कहना बहुत होगा की यदि किसी अपराधी को न्यायालय द्वारा सजा दी गई है तो वह सजा सारे गवाहों और तथ्यों के आधार पर ही दी गई है और वह न्यायोचित है ना की किसी धर्म या जाति के विरुद्ध किसी षड्यन्त्र के कारण,
अतः प्रश्न कर्ता किसी दुर्भावना के कारण या किसी धर्म विशेष को सहानुभूति दिलाने के लिए ऐसा प्रश्न पूछता है तो वह बिल्कुल भी ठीक नहीं,
यदि यह सजा किसी दूसरे धर्म की महिला को दी गई होती तो कोई यहाँ ऐसे प्रश्न पूछता ही नहीं।