ऐसा क्यों होता है कि कोई व्यक्ति हमें चंद मिनटों में ही पसंद आ जाता है जबकि कुछ व्यक्ति वर्षों साथ रहने के बावजूद भी पसंद नहीं आते?
यह मन मिलने की बात होती है। दूसरे शब्दों में जहां मन की ट्यूनिंग अच्छी हो जाती है, वहां जल्दी प्रेम का रिश्ता बन जाता है। इस विषय को ज्योतिष शास्त्र के आधार पर समझने के लिए वर्ग विचार किया जाता है।
ज्योतिष शास्त्र में इसके लिए व्यक्तियों के लौकिक नाम (बोलता नाम) के प्रथम अक्षर के आधार पर वर्ग विचार किया जाता है।
ज्योतिष शास्त्र में नाम के आधार पर निम्नानुसार 8 वर्ग होते हैं-
उपरोक्त सारणी के अनुसार “अ” का स्वामी गरुड़ होता है और उसका शत्रु सर्प होता है। क वर्ग का स्वामी विडाल या बिलाव होता है, उसका स्वामी मूषक या चूहा होता है। इसी प्रकार अन्य वर्गों के स्वामी और उनके शत्रुओं की जानकारी ली जा सकती है।
उदाहरण के लिए मान लीजिए किसी लड़के का नाम “अरुण” है तो उसका प्रथम अक्षर “अ” होने के कारण उसका वर्ग “गरुड़” होगा। उसकी बहन का नाम यदि “दीपिका” है, तो उसका वर्ग त वर्ग होगा और उसका स्वामी “सर्प” होगा। गरुड़ और सर्प आपस में एक दूसरे के शत्रु होने के कारण, इनमें आपस में कभी मित्रता नहीं होगी। अर्थात् भाई बहन होने के बावजूद इनके जीवन में हमेशा अनबन रहेगी।
यदि अरुण का संपर्क “त” वर्ग के अलावा किसी अन्य लड़की जैसे “कान्ता” से होता है । कान्ता का वर्ग क वर्ग होगा और उसका स्वामी विडाल होगा। गरुड़ और विडाल में कोई शत्रुता नहीं है, अतः उससे तुरन्त दोस्ती हो जाएगी।
इसी प्रकार हम अन्य नामों और वर्गों के बारे में विचार कर सकते हैं। यह लगभग सटीक बैठता है। विवाह के लिए अष्टकूट मिलान में यदि 18 गुण से कम मिलें (ग्रह मैत्री दोष या भकूट दोष होने के कारण) और वर्ग विचार शुद्ध हो तो उनका विवाह किया जा सकता है।
ध्यान रहे यह वर्ग विचार व्यक्तियों के लौकिक नाम से ही किया जाता है, जन्म कुंडली के चंद्र राशि के आधार पर रखे जाने वाले नाम से नहीं किया जाता। परन्तु विवाह के लिए अष्टकूट मिलान में चंद्रमा के आधार पर जन्म राशि और जन्म नक्षत्र का उपयोग किया जाता है।
यही कारण है कि कोई व्यक्ति हमें चन्द मिनटों में ही पसंद आ जाता है, जबकि कुछ व्यक्ति वर्षों साथ रहने के बावजूद भी पसंद नहीं आते।