कश्यप ऋषि के द्वारा सूर्य देव का जन्म हुआ, उनके जन्म से पहले लोग कैसे जीवन जीते थे?
सूर्य देव एक पद का नाम है। सूर्य से अर्थ प्रकाश पुंज लिया गया है जो कि समस्त ब्रह्मांड में प्राणीयों को जीवन जीने के लिए आवश्यक प्रकाश देता है। उसी सूर्य के संचालन का कार्य भार जिस व्यक्ति के पास हो वही सूर्य देव कहलाये जाते हैं।
कश्यप ऋषि जी के पुत्र विवस्वान थे। ये अपने पिता की सभी संतानों में सबसे श्रेष्ठ थे। इसलिए कश्यप ऋषि ने इन्हें पृथ्वी पर शासन करने के लिये राजा बना दिया। बाद में इनके अच्छे कर्मों से प्रसन्न होकर भगवान नारायण ने इन्हें सूर्य देव की उपाधि दी। तबसे ही वे सूर्यदेव बनके सूर्य का कार्य भार सम्भाल रहे हैं। अर्थार्त सूर्य भगवान विवस्वान के जन्म के पूर्व भी था, पर तब उसका कार्य ब्रह्मा जी ही देखते थे।
इन्होंने शासन करके जिस वंश की स्थापना की, वो विश्व का सबसे प्राचीन वंश है, जिसके वंशज आज भी जीवित हैं।
वर्तमान में कश्यप ब्राह्मण, सूर्यवंशी क्षत्रिय, अग्रवाल (महाराजा अग्रसेन के वंशज) वैश्य, जैन (अग्रवाल जो जैन हो गए), बौद्ध जो भगवान बुद्ध के राज परिवार के वंश से है, अग्रहरि सिख, कर्ण के पुत्र वृषकेतु के वंश के वंशज व इन सभी के अलावा वो मुस्लिम या ईसाई जिनके पूर्वज सूर्यवंशी थे, ये सभी इस वंश के हैं। इसी कारण ये विश्व का वंशजो की संख्या के हिसाब से विश्व मे सबसे बड़ा वंश है।