कुंडली में मंगल कब शुभ फलदायक होता है?
मंगल को ऊर्जा का कारक ज्योतिष शास्त्र मे सेनापति की संज्ञा दी गई है कुंडली मे मंगल की शुभ फलदायी परिस्थिति निम्नवत है ।
1- यदि मंगल कुंडली मे अपनी उच्च राशि मकर मे लग्न भाव मे विराजमान हो पाप ग्रह से युत या दृष्ट न होने पर , एवं बली होने पर जातक को पराक्रमी , सेना , पुलिस ,रक्षा कार्यो से जुडाव एवं उच्चाधिकारी बनाते है ।
2 – मंगल की स्थिति कुंडली मे लग्न, चतुर्थ, सप्तम, दशम भाव मे उच्च राशि मकर या मूल त्रिकोण राशि मेष या स्वराशि वृश्चिक मे विराजमान होने पर रुचक नामक पंचमहापुरुष योग का निर्माण होता है अतिशुभ फल प्रदान करते है ।
3 – कर्क एवं सिंह लग्न के लिए मंगल योगकारक होते है बली होने पर अति शुभ फल प्रदान करते है ।
4 – कुंडली मे मंगल तृतीय, षष्ठम, एकादश भाव मे स्थित होने पर शुभ फल प्रदान करते है ।
5 – मंगल को पराक्रम कारक कहा जाता है फल प्रदान करने की क्षमता शुभ प्रभाव से युत या दृष्ट होने पर शुभ फल दायक पाप प्रभाव मे होने पर फल मे कमी रहेगी तथा नवांश मे स्थिति फल प्रदान करने की क्षमता को प्रभावित करेगी पर विचार करना आवश्यक रहेगा ।
6 – मंगल ऊर्जा शक्ति, साहस, भूमि तथा जमीन, माँसल – शक्ति, युद्ध, प्रशासक ,शत्रु दमन , संघर्ष, क्रोध, विवाद ,सेनापति , पौरूष शक्ति, रक्त, मुकदमेबाजी, वैचारिक मतभेद, सेना सीमा विवाद, हथियार, जनता का आक्रोश का प्रतिनिधित्व करते हैं कुंडली में बली अवस्था में होने पर समबन्धित कारकत्व मे श्रेष्ठ सफलता प्रदान करते है।