क्या भगवान श्री कृष्ण से बढ़कर कोई सत्य नहीं है?

श्री कृष्ण से बढ़कर सत्य से ही तो हम सब अनजान है तभी इतने अँधेरे में हैं | श्री कृष्ण तो आदि देव है, आदि पिता है | वो आत्माओ के बाप नहीं है | वो तो देह के सम्बन्ध से सबके पिता हुए | कैसे? उनका जो जन्म होता है वो सबसे पहले इस सृष्टि पर होता है | फिर उन्ही से ही इस सृष्टि की उत्पति होती है | इसीलिए वो आदि पिता है |

बाकि वो भगवान नहीं है | वो भाग्यवान है जो भगवान से योग लगा वैसे बने | भगवान कौन है? भगवान है निराकार शिव | अब वो कौन है? शिव जिन्हें हम ज्योतिलिंग्म के रूप में पूजते है | उन्ही ने ही श्री कृष्ण की जो आत्मा है उनके अंतिम जन्म के शरीर के तन में आकर गीता का ज्ञान दिया है |

गीता ज्ञान क्या है? ये आत्मा और परमात्मा का सत्य परिचय है | आजतक जो गीता हम सुनते आये वो क्या है? वो भगवान ने जो ज्ञान सुनाया उसी ज्ञान की पुस्तक बनी हुई है | जैसे क्राइस्ट ने शिक्षा दी थी, तो उनकी शिक्षा देते समय ही लोगो ने पुस्तक नहीं बनाई होगी | बहुत बाद में वो पुस्तक बनी होगी |

इसी प्रकार जब परमात्मा शिव गीता का ज्ञान देते है तो परिवर्तन हो जाता है | ये विश्व ही बदल जाता है | ज्ञान ही प्रय्लोप हो जाता है क्योंकि वो ज्ञान केवल एक ही बार संगम पर आकर मिलता है | फिर वो ज्ञान कन्हा जाता है? वो ज्ञान सदा सदा के लिए खत्म हो जाता है | क्योंकि ज्ञान की परालब्ध हो जाती है | ज्ञान की प्रालब्ध क्या है? लक्ष्मी नरायण पद |

और ज्ञान क्या है? ज्ञान है सृष्टि का, आत्मा का, परमात्मा का | और ज्ञानी कौन? ज्ञानी एक शिवबाबा है | बाकि मनुष्य क्या है? सब अज्ञानी है | किसी के पास ज्ञान का अ भी पता नहीं है |

हम सब कुक्कड़ ज्ञानी है जो समजते है मैं ज्ञानी हूँ ये हूँ, वो सब भ्रम हैं | ज्ञान केवल एक इश्वर के पास ही रहता हैं | मनुष्य के पास होता तो इस विश्व की इतनी दुर्गति आज के समय नहीं होती | तो ये साइंस, आदि धर्म आदि, राजनीती आदि ये क्या है? ये सब ड्रामा है |

साइंस का ज्ञान भी कोई उन्हें अपने आप नही आता बल्कि भगवान द्वारा प्रेरणा से ही वो सब इसी समय ये बनवाते है | क्यों बनवाते है? विनाश अर्थ | साइंस बनती ही है विनाश के लिए | क्या ये विनाश रुकता नहीं है? विनाश नहीं रुकता, ये ड्रामा है | ड्रामा है तो हमारा क्या होगा? हम सब को लेने शिव आते है महाकाल बनकर | और सब आत्माए उनके साथ वापस चली जाती है | फिर क्या होता है? नव युग शुरू होता है और हम सब ऊपर से एक एक करके निचे उतरने लगते है | कैसे? जैसे इस कल्प में उतरे थे | मतलब!

ये ड्रामा जो है वो हुबुहू रिपीट होता रहता है | अर्थात हम सब यंहा जो भी एक्ट करते हैं वो सब एक्ट जैसे कल्प के पहले भी हमने किया था वो ही अभी कर रहें है | जैसे ये ड्रामा बन चूका है ये ड्रामा बदलता नहीं है | क्यों नहीं बदलता है? बदला तो फिर स्क्रिप्ट ही पूरी बदल जाती है | फिर इतना विशाल ड्रामा और इतने अरबो आत्माए, सब गडबड हो जाये | ये ड्रामा अनादी है | अनादी का अर्थ अर्थात? इसका न अंत है न आदि है | जैसे ही अंत होगा आदि भी वोही से शुरू होगी | एक साइड भयंकर युद्ध होगा, भूकम्प आयेगे, दूसरी साइड देवी वृक्ष की आत्माए धरती पर आना शुरू हो जाती है |

योगबल से श्री कृष्ण का जन्म पहले होगा | एक साइड से ऊपर से भी आत्माए निचे उतरती रहती है, दूसरी साइड से यंहा से भी आत्माए ऊपर जाती रहती है | दोनों तरफा ट्रेफिक हो जाता है | अर्थात अभी तो ऊपर से ही निचे आती है | उस समय यंहा से ऊपर और ऊपर से निचे | मतलब क्या? मतलब सृष्टि पलट जाती है तो मुक्ति वाले ऊपर की और और जीवन्मुक्ति वाले निचे की और |

अब ये मुक्ति जीवनमुक्ति क्या है? मुक्ति अर्थात जो जन्म मरण से मुक्त हो जाते है | जीवनमुक्त अर्थात जो अमर हो जातें है | अर्थात स्वर्ग में अम्रर पद होता है वंहा अकाले मृत्यु, नहीं होती है | यंहा अचानक मर जाते है | वंहा पता पढ़ता आज शरीर छुटने वाला है तो आत्मा को दुसरे शरीर का भी पता पढ़ता यंहा जन्म होगा | और मखन की तरह शरीर छूटता है | क्योंकि वंहा कर्म भोग नहीं होता है | यंहा कर्म भोग होते है तो दुःख तकलीफ होती है | फिर जो वंहा देवी देवता थे वो कन्हा जाते है?

वो कंही नहीं जाते वो यंही आते है | पुरानी दुनिया में | नई दुनिया भी यंहा है पुरानी भी यंहा है | जब ये पुरानी दुनिया नही है तो निचे से नई दुनिया ऊपर आती है | अभी वो नई दुनिया कन्हा है? इस पुरानी दुनिया के निचे | वो ऊपर कैसे आयेगी? जब विनाश होगा तो पुरानी निचे से ऊपर आती है | कैसे आती है? भूकम्प, फ्लड, न जाने क्या क्या होगा |

तो हम क्या करें? स्वर्ग की तैयरी करो | भगवान कहते अपने को आत्मा समज मुझे याद करो, और नई दुनिया को याद करो | इस पुरानी दुनिया को बुद्धि से भूलते जाओ | ये अब नही रहने वाली है | ये ड्रामा है यंहा सबको अपने कर्मो का फल मिलता है | जो करेगा सो पायेगा | इसीलिए अपनी मेहनत करनी है | बिना पुरुषार्थ के कोई भी स्वर्ग में नही आ सकता है | पुरुषार्थ क्या है? अपने को आत्मा समज भगवान को याद करना | इस दुनिया को भूल जाना है | तो कृष्ण की दुनिया में आ जायेगे | जो कृष्ण जी के भक्त है खासकर वो जरुर समजे इन बातो को |

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