क्या भूत सच्चाई है या फिर अंधविश्वास?
शायद ही कोई होगा जिसने कभी भूत के बारे में नहीं जानता हूं ऐसा कहा हो.जब भी कभी किसी सुनसान रास्ते से गुजरे होंगे, तब इसका ख्याल मन में जरूर आया होगा और कभी किसी ने यह नहीं बताया होगा दिखते कैसे हैं इनके बारे में सुना सभी ने पर देखा बहुत कम लोगों ने होगा कुछ लोग इनके डर से आज भी भय भीत हो रहे होंगे आपको ऐसी जानकारी दूंगा जो गुप्त है.
भूत क्या है?
भूत के सवाल में ही इसका जवाब छुपा है कम लोग जानतेहोंगे हमारा शरीर पांच महाभूतों से मिलकर बना है पृथ्वी अग्नि वायु जल और आकाश! यही मिलकर हमारजीवन बनाते हैं इन पांच महाभूतों से दुनिया का हर व्यक्ति बना है व्यक्ति का जीवन पांच महा भूतों का संतुलन है जब यह संतुलन बिगड़ जाता है व्यक्ति का जीवन खत्म हो जाता है अंतिम क्रिया पृथ्वी और जल तत्व नष्ट हो जाता है पृथ्वी और जल तत्व नष्ट हो जाने की वजह से उस का शरीर खत्म हो जाता है.
अब सिर्फ अग्नि वायु आकाश यह तीन तत्व उसके अंदर बच जाते हैं. इसप्रकार से उसआत्मा को शरीर नहीं मिल सकता पर अग्नितत्व के कारण उसमें काम क्रोध लोभ मोह दूषित अग्नि के कारण उसकी मुक्ति नहीं होती, किसी और शरीर जो जीवित हो प्रवेश करने की कोशिश करता है अगर सफल हो जाता है शरीर द्वारा अपनी इच्छा पूरी करना चाहता है.किसी सैनिक को जब क्रोध आता है वह दुश्मनों को मार देता है उस समय यह क्रोध देश की सुरक्षा के लिए होता है इसलिए सकारात्मक ऊर्जा का रूप है.क्रोध दूषित अग्नि अर्थ अपने स्वार्थ पूर्ति के लिए होता है किसी के अंदर घर बना लेता है, मरने के बाद शांत नहीं होता आत्मा क्रोध रूपी अग्नि शांति के लिए दूसरे शरीर को माध्यम बनाने की कोशिश करने लगती है सुना होगा व्यक्ति को भूत लग गए हैं.
भूत से बचने के उपाय!
भूत कुछ नहीं आपके अंदर की अग्नि रूपी दूषित इच्छा हैकाम क्रोध मोह लालच व्यक्ति इच्छाओं को लेकर जीवन त्याग देताहै इन इच्छाओं के कारण उसकी मुक्ति नहीं हो पाती और वह इस शरीर त्याग ने के बाद किसी और के शरीर को माध्यम बना कर दूषित इच्छाओं की पूर्ति करना चाहता है इसलिए वहां भटकता रहता है.
जिसको तंत्र को जानने वाले तांत्रिक अग्नि आत्मरूपी भूत को कैद कर लेते मर्जी के हिसाब से गलत कार्य करवाते हैं और वह अग्नि दूषित होती जाती है उसके मुक्ति के मार्ग बंद हो जाते हैं अब हम क्या करें मृत्यु के बाद हमारी मुक्ति हो और इस जीवन में दूषित अग्नि या फिर यह भूत नुकसान न पहुंचा सकें, इस का सबसे सरल उपाय हम अपने अंदर के काम क्रोध लोभ मोह लालच जैसी बुरी आदतों को छोड़ें इन को छोड़ने से हमारे अंदर की अग्नि दूषित नहीं होती है.
मरणोपरांत हमारी मुक्ति हो जाती है दूसरा उपाय इन सभी बुरी इच्छाओं को खत्म करने के लिए हमें अपने अंदर सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाना होता है उस के लिए आप चाहे किसी भी धर्म के हो उस धर्म के सबसेपवित्र नाम का जाप और स्मरण करने से आपके अंदर सकारात्मक– ऊर्जा बढ़ती है और इन सब चीजों से मुक्त रहते हैं.