क्या लोन पर ५ लाख की कार खरीदना बेहतर है या ओला उबर से चलना?
कार की कीमत तो आपने तय कर ही ली है। 5 लाख। 5 लाख की कार पर आपको 90% यानि 4.5 लाख लोन मिल जाएगा। व्याज की दर होगी लगभग 10% सालाना। पहले साल का व्याज होगा लगभग 24375, रिटेन डाउन वैल्यू के अनुसार। लेकिन इस विधि और भी जटिलता है, इस विधि से न जा कर हम ये मान लेते है कि आपने पूरे 5 लाख घर से लगाये और ये रकम अगर आपने लोन पर लिये होते तो आप को इस रकम पर व्याज का नुकसान होता। हिसाब की सरलता के लिये हम व्याज की दर 8% सालाना मान लेंगे।
माना कि आप प्रतिदिन लगभग 20 किलोमीटर एक तरफ की यात्रा करेंगे तो दोनो तरफ की यात्रा कुल 40 किलोमीटर की हुई। थोड़ा बहुत कम ज्यादा मिला कर 50 किलोमीटर प्रतिदिन के हिसाब से माना कि आप प्रति माह 25 दिन चलेंगे। इस हिसाब से साल में आप 15000 किलोमीटर की यात्रा करेंगे।
कार नई होगी इस लिये 15 किलोमीटर प्रति लीटर की माइलेज देगी। 78 रुपये प्रति लीटर की दर औसत मान लेते हैं।
इन्शुरन्स प्रति वर्ष 15000 मान लें।
गाड़ी के रख रखाव और छोटे मोटे मरम्मत के खर्चे प्रति वर्ष 15000 मान लें।
गाड़ी 5 साल में समाप्त हो जाएगी। इसलिये गाड़ी की डेप्रिसिएशन 5 सालों में निकालेंगे। 5वें साल के अंत मे माना कि आप गाड़ी को 1 लाख में बेच सकेंगे। इस तरह बाकी के 4 लाख 5 वर्षो में डिप्रेसियट हो जाएगी। यानि प्रति वर्ष 80,000।
ड्राइवर की तनख्वाह प्रति माह 8000 के हिसाब से साल के 96000।
आइए प्रति किलोमीटर का खर्च निकाले।
पेट्रोल का खर्च: 78/15= 5.20 /प्रति कि मी।
मरम्मत और रख रखाव= 15000/15000= 1.00 प्रति कि मी।
इन्शुरन्स= 15000/15000= 1.00 प्रति कि मी।
डेप्रिसिएशन= 80000/15000= 5.33 प्रति कि मी।
ड्राइवर की तनख्वाह= 96000/15000= 6.40 प्रति कि मी।
इस प्रकार बैंक के व्याज के बिना भी आपकी गाड़ी पर प्रति किलोमीटर का खर्च लगभग 18.97 रुपये है।
अब व्याज की रकम की गरणा करते हैं।
500000*8/100=40000/15000=2.67 प्रति कि मी।
इस तरह कुल खर्च आता है, 21.64 प्रति कि मी। अभी इसमें पार्किंग के जगह का भाडा नही जोड़ा गया।
खैर, अब हम लगभग निष्कर्ष पर पहुँच चुके हैं। प्रति किलोमीटर का खर्च लगभग 22 रुपये मान लिया जाय तो आप देखेंगे कि उबर या ओला आपको प्रति किलोमीटर लगभग 18 से 20 रुपये पड़ता है। इस प्रकार आप अपनी गाड़ी पर लगभग 2 से 4 रुपये प्रति किलोमीटर अधिक खर्च करेंगे। उसके अलावा मानसिक परेशानी अलग से होगी।
हालांकि अपनी गाड़ी होने के कुछ अलग फायदे भी है जिन्हें अनदेखा नहीं किया जा सकता है। इसलिये फैसला आपके हाथों में है।
नोट: कुछ लोग गणना के लिये पूंजी की कीमत या गाड़ी की क्षय कीमत यानि डेप्रिसिएशन, इन दोनों में से सिर्फ पूंजी के खर्चे को ही गणना में लेते है। यह आपकी मानसिकता पर है कि आप गणना में दोनों को लेते है या नहीं।