क्या 2021 आईपीएल खिलाड़ी की नीलामी आईपीएल के इतिहास में सबसे बेकार नीलामी थी? जानिए
बिल्कुल , यह कहना गलत नहीं होगा कि आईपीएल 2021 के लिए 18 फरवरी को चैन्नई मे हुई खिलाड़ियों की नीलामी सबसे बेकार कही जा सकती है। इस नीलामी में जिन नामी खिलाड़ियों पर सबसे अधिक पैसे बरसने की आशा थी उन्हें किसी ने भाव तक नहीं दिया और जिन्हें कभी देखा सुना नहीं उनके भाव बहुत ऊँचे रहे। जैसे के.गौतम जिंन्हे सीएसके द्वारा ₹9.25 करोड़ मे खरीदा गया है जिनका बेस मूल्य केवल बीस लाख था और उसने पिछले सीजन मे पंजाब के लिए केवल दो मैच ही खेले थे इसी प्रकार तमिलनाडु के निचले स्तर पर खेलने वाले शाहरुख खान ₹ 5.25 करोड़ मे बिके हैं ऐसे बहुत से अन्य खिलाड़ी अपने बेस मूल्य से बहुत अधिक कीमत पर बिके हैं ।
दक्षिण अफ्रीका के क्रिस मौरिस सबसे अधिकतम मूल्य ₹ 16.25 करोड़ मे सबसे महंगे खिलाड़ी के रूप में बिके हैं सबसे हैरान करनेवाले खिलाड़ी अर्जुन तेन्दुलकर हैं जो महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर के साहिबजादे हैं जिनका बेस मूल्य बीस लाख था जिंन्हे मुम्बई इंडियन द्वारा निर्धारित बेस मूल्य पर ही खरीदा गया है चुंकि सचिन जो मुम्बई इंडियन के मैंटर भी हैं।
अब आप स्वयं अंदाजा लगा लीजिए कि बेटे को खरीदवाने के लिए सचिन जी की कुछ तो भूमिका रही होगी जबकि अर्जुन तेन्दुलकर का ऐसा ट्रैक रिकॉर्ड नहीं है जो उन्हें बीस लाख का खिलाड़ी भी माना जाये उससे भी अच्छे क्रिकेटर भारत के प्रथम स्तर की क्रिकेट में मिल जाते। जो 15 लाख मे भी जान तोड कर अपना श्रैष्टतम खेल दिखा देते। यह नेपोटिजम का जीता जागता उदाहरण है।
इस नीलामी में कुछ ना कुछ गडबडझाला अवश्य है ध्यान योग है कि पिछले दिनों ब्रिटेन की एक खुफिया एजेंसी अपने ही देश के खिलाड़ियों के विरुद्ध एक जाँच कर रही है जिसमें उन्होंने यह देखा था कि उनके खिलाड़ी पिछले कुछ समय से अच्छे खासे पैसे वाले बन रहे हैं तब उस ऐजंसी ने जब जाँच का दायरा आगे बढाया तो मैच फिक्सिंग के तार दुबई व भारत के कुछ शहरों से जुडे मिले और मैच को फिक्स करने मे उनकी भूमिका सामने आ रही है अब खिलाड़ियों को मैच फिक्स करने के पैसे ना देकर यूरोप के देशों व दुबई में प्रोपर्टी दी जा रही है और काम बहुत ही संगठित रूप से हो रहा है।
आईपीएल भी इससे अछूता नहीं हो सकता हो सकता है कि ऐसे कम मूल्य के खिलाड़ियों को खरीद कर अधिक मूल्य देना भी कुछ ना कुछ संदेह पैदा करता है क्या ऐसा हो सकता है कि ऐसे खिलाड़ियों को खरीदना मतलब ड्रैसिंग रूम मे मैच को फिक्स किया जा सके दुसरा दुनिया की नजर मे वो मंहगे दिखते हो पर उन्हें पेमंट सम्बंधित टीम वोही करे जो उनकी औकात हो। यानी ऐसे खिलाड़ी केवल मैच फिक्सिंग के लिए ही इस्तेमाल किये जायेंं।