प्रसिद्ध फिल्म ‘तीसरी कसम’ किस कहानी पर आधारित है और उसे किसने लिखा है?
अभिनेता राजकपूर जो की एक भोला भाला गाड़ीवान है जिसे विश्वास करने के कारण धोखा मिलता है तो वह कसम खाता है , पहला की जीवन में कभी अपने बैलगाड़ी पर दो नम्बर की वस्तु को नही लादेगा जिसके कारण यह बैलो को किसी तरह पुलिस से बचा लेता है पर गाड़ी में दो नम्बर का सामान रहने के कारण गाड़ी हाथ से चली जाती है , दूसरी बार कसम खाता है की गाड़ी में लम्बी बाँस जैसी वस्तु नहीं लादेगा जिससे गाड़ी असंतुलित हो जाती है तीसरी बार जब उसके द्वारा दिल से चाहने पर भी नाचनेवाली हिराबाई मज़बूरीवश हमेशा के लिए अलग होकर दूर चली जाती है तो हिरामन गाड़ीवान फिर से
तीसरी कसम खाता है की आज से अपनी गाड़ी में अब किसी सुन्दर स्त्री को कभी नहीं चढ़ाएगा कभी नही,, इससे उसका भोला मन आसक्त हो जाता है और बाद में बिछोह से हिरामन का दिल टूट जाता है क्योकि ये एक गाड़ीवान है इसकी मंजिल हमेशा पृथक रहेगी सभी आने जाने वाले पथिकों से , और इस तरह एक बेहतरीन प्रेम कथा यहीं अंत हो जाता है , एक दुसरे को बेइंतहा चाहने वाले एक दुसरे से सदा के लिए अलग हो जाते है ऐसा बहुत कम फिल्मों में ही होता है , इसकी समानांतर कहानी आपको “” मेरा नाम जोकर “”में मिलेगा जिसके अभिनेता राजकपूर जी ही है , और फिल्म देखने के दौरान आपको राजकपूर कम और गाड़ीवान ज्यादा महसूस होंगे यही तो लाजबाब अदाकारी है इनकी …
इस फिल्म के मधुर गाने , जिसे आप जितना सुनेंगे प्यास उतनी ही बढ़ती जाएगी
- “सजन रे झूठ मत बोलो , खुदा के पास जाना है “
- “दुनिया बनाने वाले क्या तेरे मन में समायी ,तूने काहे को दुनिया बनायीं
- लाली लाली डोलिया में लाली रे सजनिया
- “सजनवा बैरी हो गए हमार , चिट्ठियाँ हो तो हर कोई बांचे , भाग्य ना बांचे कोई
- “पान खाए सैयां हमारो”सांवली सुरतिया होठ लाल लाल “”
1966 में रिलीज हुई एक बेहतरीन फिल्म थी पर उस समय के माहौल में बॉक्स ऑफिस में ज्यादा उठा पटक नही कर सकी और बुरी तरह फ्लॉप हो गयी जिसके सदमे में निर्माता गीतकार शैलेन्द्र जी का निधन हो गया ,यह हिन्दी के महान कथाकार फणीश्वर नाथ रेणु की कहानी ‘मारे गये गुलफाम’ पर आधारित है। पुरानी फिल्मों के शौकीन लोगों के लिए यह श्वेत श्याम फिल्म ग्राम्य जीवन के साथ साथ बीते समय की सुन्दर भावनाओं से ओतप्रोत है यह आजकल के माहौल में शायद ही किसी को पसंद आये