बिहार के लोग ही देशभर में सबसे ज्यादा मजदूरी क्यों करते है इस बेबसी का क्या कारण है? जानिए
बिहार के लोग हीं देशभर में सबसे ज्यादा मजदूरी का कार्य दूसरे राज्यो में जाकर करते हैं, मैं एक बिहारी होने के नाते इस बेबसी का कारण बिना किसी लाग लपेट के स्वयम बिहारियों को ही मानता हूँ।
क्यों???
आइये जानते हैं—
भारत को आजाद हुए 73 वर्ष हुए और इतने ही वर्षो में हमने 36 बार मुख्यमंत्री चुना और आश्चर्य की बात ये है कि फिर भी हम एक भी ऐसा मुख्यमंत्री न चुन सके जो जो जात-पात छोड़ कर विकाश की बात करता हो (सुशाशन बाबू की बात अलग है?)
आपको जानकर आश्चर्य होगा शायद पूरे भारत मे एकमात्र अंगूठा छाप मुख्यमंत्री देने का श्रेय हम बिहारियो को जाता है, वो थी माननीया राबड़ी देवी, और सोने पर सुहागा ये की इनको हमने तीन बार मुख्यमंत्री चुना।?
1968 में हमने एक ही साल में तीन बार अलग-अलग मुख्यमंत्री चुना, पहले सतीश सिंह को चुना फिर लगा गलती हो गयी फिर बी.पी. मंडल को मुख्यमंत्री बनाया, लेकिन एकबार फिर लगा गलती हो गयी तो भोला पासवान को मुख्यमंत्री बन दिया। (हमारा लेबल ही अलग है भाई….हम तक पहुँचो यार??)
कर्पूरी ठाकुर जिन्होंने सबसे पहले अगड़ी पछड़ी की राजनीति की उनको भी हमने मुख्यमंत्री बना के देख लिया, अरे उनके बारे में ज्यादा नही जानते?? कोई बात नही बस इतना समझ लीजिए कि लालू यादव, नीतीश कुमार, रामविलास पासवान ये सब इनके ही चेले चपाटे हैं।?
जगन्नाथ मिश्र जिन पर भ्रष्टाचार के कई गंभीर आरोप थे हमने उनको भी मुख्यमंत्री के पद से नवाजा है।?
1990 में दशक में जब केंद्र में राव जी प्रधानमंत्री थे और मनमोहन सिंह वित्त मंत्री थे हमने लालू यादव को मुख्यमंत्री बनाया था। जब मनमोहन सिंह जी उदारवाद के जरिये विदेशी निवेशको के लिए भारत के द्वार खोल रहे थे, बहुत सारी बहुराष्ट्रीय कंपनियां भारत आ रही थीं, गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश आदि राज्य सरकारे अपने यहाँ विदेशी निवेशकों को बुलाने और उन्हें इंफ्रास्ट्रक्चर, मुहैया कराने और अपने राज्य के विकाश में ध्यान दे रहे थे, उस दौरान हमारे बिहार में अगड़ी-पिछड़ी जातियों में खूनी संघर्ष चल रहा था और ये कहने में कोई शक नही है कि बहुत सारी अगड़ी जाति के लोगो को मौत के घाट उतार दिया गया, इतना ही नही मंत्री जी के रिस्तेदार रेप करने, मर्डर करने , अपहरण, फिरौती आदि में मशगूल थे और मंत्री जी उन्हें बचाने के लिए लीपापोती करने में मशगूल थे।(यही वह समय था जब बाकी राज्य तेजी से विकाश किये और बिहार तेजी से बर्बाद हुआ मैं इस समय को बिहार का टर्निंग पॉइंट मानता हूँ। कोई राजद प्राइवेट लिमिटेड से होगा तो कृपया बुरा न मानियेगा??)
बिहार से आने या जाने वाली किसी भी ट्रेन में साल के 365 दिन किसी भी दिन चले जाइएगा आपको पैर रखने तक की जगह नहीं मिलेगी इसकी मुख्य वजह यही है कि बिहार में कंपनियां नहीं है तो रोजगार कहां से होगा इसलिए बिहार से बहुत संख्या में लोग दूसरे राज्यों में रोजगार ढूंढने के उद्देश्य से जाते हैं। जो थोड़ा बहुत कमाते हैं उसका बहुत सारा भाग उसी राज्य में खर्च करके चले आते हैं। (तेरा तुझको अर्पण?)
पुरानी बातें छोड़ दीजिए ना साहब अभी वर्तमान की बात करते हैं चीन से बहुत सारी कंपनियां बाहर निकलना चाहते हैं बहुत सारे देश उन को लुभाने के लिए अपने नियमों में बदलाव कर रही हैं और उनके साथ नेगोशिएशन कर रही हैं इसमें भारत भी है। राज्यों के स्तर पर देखें तो अकेले उत्तर प्रदेश सरकार लगभग 100 कंपनियों के साथ बातचीत कर रही है इसी प्रकार गुजरात और महाराष्ट्र सरकार अलग-अलग कंपनियों से बातचीत कर रही हैं किंतु हमारे सुशासन बाबू माननीय नीतीश कुमार जी को इन सब से घंटा फर्क नहीं पड़ता उन्होंने तो बिहार में सड़के बना कर, बिजली देकर नर्क से स्वर्ग बना दिया।
जाते जाते हम आपको एक और रोचक बात बता कर जाना चाहते हैं हमारे बिहार में फिर से जल्द ही मुख्यमंत्री का चुनाव होने वाला है और आप आश्चर्य मत कीजिएगा यदि हमने इस बार लालू यादव के सुपुत्र को मुख्यमंत्री बना दिया अथवा फिर से नीतीश कुमार को एक मौका और दे दे हम बड़े अजीब लोग हैं हम जब ट्रेन के जनरल बोगी में होते हैं सिर्फ तभी विकास की बात करते हैं जैसे ही जनरल बोगी से निकलकर घर पहुंचते हैं हम जातियो में विघटित हो जाते है,