भारतीय रेल में कुछ लोग फेविकोल का ड्रम या बाल्टी लेकर सफर क्यों करते हैं?

बहुतों की दुखती रग पर हाथ रखा आपने, अपने भारत की गरीबी की याद दिला दी, याद कीजिये 2 लीटर कोल्ड ड्रिंक की बोतलें जो हम बेकार समझ कर फेंक देते हैं, वही बोतलें यही गरीब लोग महिनों या कहें सालों तक पानी, खाद्य तेल, केरोसिन आदि रखने में इस्तेमाल करते हैं,

फ़ैवीकोल की 20 या 25 लीटर की ड्रम या बाल्टी जो खाली होने के बाद शायद कूड़े में फेंक दी जाती है, लेकिन फैक्टरी, या किसी प्रोजेक्ट में काम करने वाले मजदूर उसे साफ करके इस्तेमाल करके पानी रखने के लिए इस्तेमाल करते हैं, जब ये मजदूर दूर दराज अपने घर जातें हैं तो उसे भी साथ मे ले जाते हैं, 20 या 25 लीटर की बाल्टी की कीमत 100 से 250 रुपये तक होती है, हमारे लिए यह कीमत भले ही कम हो लेकिन किसी गरीब परिवार के लिए यह 2 से 5 दिन के खाने की कीमत होती है।

यह मैं इतना सही इसलिए बता पाया क्योंकि ट्रैन में आते जाते कई बार मैंने मजदूरों से बात की और फ़ैवीकोल की बाल्टी भी देखी।

आप सबसे अनुरोध है कि अगर कभी किसी को ऐसे देखें तो कृपया उन्हें उपेक्षा की नजर से न देखें उनका सम्मान करें क्योंकि जिन घरों में हम रहते हैं कही न कही इन जैसे लोगों की मेहनत लगी होती है।

आज मैंने थर्ड एसी के एक कोच में एक भाई को फेविकोल की एक बाल्टी और ड्रम के साथ सफर करते देखा और पूछा तो उन्होंने कहा कि वो मुंबई में कारपेंटर का काम करते हैं, और अपने घर झांसी जा रहे , बाल्टी और ड्रम के बारे में बताया कि यह बहुत मजबूत होती है, और सालों साल चलती है, सफर के दौरान इसमे बहुत समान आ जाता है, पूरी तरह वाटर प्रूफ़ कितनी भी बारिश हो इसमे रखा सामान नही भीगता, मुझे नई जानकारी मिली और मैंने उन्हें प्लास्टिक रीसाइक्लिंग के लिए धन्यवाद दिया।

फ़ैवीकोल की 20 या 25 लीटर की ड्रम या बाल्टी जो खाली होने के बाद शायद कूड़े में फेंक दी जाती है, लेकिन फैक्टरी, या किसी प्रोजेक्ट में काम करने वाले मजदूर उसे साफ करके इस्तेमाल करके पानी रखने के लिए इस्तेमाल करते हैं, जब ये मजदूर दूर दराज अपने घर जातें हैं तो उसे भी साथ मे ले जाते हैं, 20 या 25 लीटर की बाल्टी की कीमत 100 से 250 रुपये तक होती है, हमारे लिए यह कीमत भले ही कम हो लेकिन किसी गरीब परिवार के लिए यह 2 से 5 दिन के खाने की कीमत होती है।

यह मैं इतना सही इसलिए बता पाया क्योंकि ट्रैन में आते जाते कई बार मैंने मजदूरों से बात की और फ़ैवीकोल की बाल्टी भी देखी।

आप सबसे अनुरोध है कि अगर कभी किसी को ऐसे देखें तो कृपया उन्हें उपेक्षा की नजर से न देखें उनका सम्मान करें क्योंकि जिन घरों में हम रहते हैं कही न कही इन जैसे लोगों की मेहनत लगी होती है।

आज मैंने थर्ड एसी के एक कोच में एक भाई को फेविकोल की एक बाल्टी और ड्रम के साथ सफर करते देखा और पूछा तो उन्होंने कहा कि वो मुंबई में कारपेंटर का काम करते हैं, और अपने घर झांसी जा रहे , बाल्टी और ड्रम के बारे में बताया कि यह बहुत मजबूत होती है, और सालों साल चलती है, सफर के दौरान इसमे बहुत समान आ जाता है, पूरी तरह वाटर प्रूफ़ कितनी भी बारिश हो इसमे रखा सामान नही भीगता, मुझे नई जानकारी मिली और मैंने उन्हें प्लास्टिक रीसाइक्लिंग के लिए धन्यवाद दिया।

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