सही फैसला लेना सिखों। आपका एक गलत फैसला आपसे सब कुछ छीन सकता है।
हर बार हमारे फैसले सही हो यह जरूरी नही। अच्छा जीवन बुरा जीवन हम खुद ही चुनते हैं। प्रकृति का तो नियम ही हे आप के सामने वह सबकुछ अच्छा ही रखती है। और उन अच्छे और बुरे में से तुम्हें चुनने का मौका देती हे अगर तुम मेरी इच्छा से चलोगे तो एक अच्छा और स्वस्थ जीवन जी पाओगे और अगर मुझमें या मेरी बातों में कुछ संदेह हो तो तुम अपनी राह चुन सकते हो । मैं फिर भी तुम्हारें भलाई कि ही कामना करुंगा। यह प्रकृति का नियम है कि वह हमारे बुरे व्यवहार के बदले भी हमारे लिए भला ही करती है।
आदम और हवा को इस सृष्टि के शुरुआत में भी परमेश्वर ने अपनी सभी आशीषों से भरपूर किया था। इन दोनों के लिए यह पूरी दुनिया रचि गई थी।परमेश्वर ने उन्हें संसार की सभी वस्तुओं के उप्पर अधिकार देकर रखा था। जैसे हर प्रकार के पैड़ पौधे, पृथ्वी के उप्पर और निचे के सभी प्राणी और जीव जन्तु, नदी,नाले,समुद्र तल में रहने वाले हर प्रकार के जीवों पर आदम हवा को अधिकार देकर रखा गया था। ताकि तुम इन सारी सृष्टि पर उपस्थित पेड़ पौधों,जीव जन्तुओं,पालतू और जंगली जानवरों,नदी ,नालों ,समुद्र में रहने वाले प्राणियों के नाम रखों और इनका उपयोग भी करो। इस पृथ्वी का सारा अधिकार आदम और हवा को दिया गया था। साथ ही साथ एक हिदायत भी दि गई थी। तुम इस पृथ्वी पर उपस्थित हर पेड़ों के फलों को छु भी सकते हो और खा भी सकते हो।
पर पूरी वाटिका के बीच में उपस्थित एक पेड़ हे जो भलाई और बुराई की पहचान कराने वाला पेड़ है वह बहुत मनमोहक हे तुम ना तो उस पेड़ के पास जाना और नाही उसे छूना और नाही उसका फल खाना। अगर तुम ऐसा करते हो तो तुम मर जाओगे।तुम्हें भले और बुरे का ज्ञान हो जाएगा और तुम श्रापित हो जाओगे। यह बात परमेश्वर ने आदम और हवा को इस लिए बताई ताकि वे अंजाने में इस पेड़ का फल ना खाले।
आदम और हवा बहुत खुश थे। वो दोनों परमेश्वर द्वारा मिले इन आशीषों का आनंद ले रहे थे। सब बहुत अच्छा था। किसी बात कि कोई चिंता नही थी मन चाहे वहाँ घुमना, खेलना कुदना, जानवरों के साथ खेलना उनके साथ रहना सब बिल्कुल स्वर्ग जैसा ही था। हर शाम परमेश्वर दोनों से मिलने आया करते थे उन दोनों से बातें किया करते थे कि तुम दोनों ने दिन भर क्या क्या किया। वे भी परमेश्वर से बातें किया करते थे।सब बहुत अच्छा था। पर एक दिन हवा वाटिका मे घुम रही थी।
तभी उसकी नजर उस पेड़ के फल पर पड़ी जिसके पास जाने को,छुने को और खाने को परमेश्वर ने उन्हें मना किया था। वह उस पेड़ के पास गई उस पेड़ का फल बहुत ही मन मोहक था। उसकी इच्छा हुई की वह उस फल को तोडकर खाएं लेकिन उसे परमेश्वर द्वारा दि गई हिदायत याद थी। वह थोड़ा पिछे हो गई तभी उस पेड़ से आवाज आई यह फल तुम खा सकती हो। हवा ने देखा एक साप उस पेड़ पर हे और वह बोल रहा है। वह शैतान था जिसने एक साप का रूप लेकर उस पेड़ बैठा था। और वह हवा से बातें कर रहा था। हवा तुम इस पेड़ का फल खा सकती हो। हवा ने कहा नहीं हमें परमेश्वर ने कहा है अगर तुम इस पेड़ का फल खाओगे तो मर जाओगे। यह सुन कर साप ने कहा तुम नहीं मरोगे बल्कि तुम इसे खाकर परमेश्वर जैसे बन जाओगे। इसलिए परमेश्वर ने तुम्हे यह फल खाने से मना किया है। तुम इसे खालों देखो तुम भी परमेश्वर जैसे बन जाओगे । फिर तुम्हे भी सही और गलत का ज्ञान हो जाएगा। खाओ इसे। हवा ने कहा नही हमें परमेश्वर ने मना किया हे इसे खाकर हम मर जाएंगे।
सापने बहला फुसला कर कहा खा कर तो देखो तुम सच मे परमेश्वर जैसे बन जाओगे। तब हवा ने साप कि बातों में आकर उस पेड़ का फल तोड़ा और खाया यह खाने मे बहुत मिठा था । इसलिए वह आदम के लिए भी यह फल लेकर गई और आदम को भी यह फल खिला दिया। जैसे ही दोनों ने वह फल खाया उन्हें सही और गलत का ज्ञान होने लगा। उस समय उन्होंने एक दूसरे को देखा वे दोनों गग्न अवस्था में थे । उनके बदन पर कोई वस्त्र नहीं थे। वे एक दूसरे को देख कर छुपने लगे उनके अंदर पाप ने उपनी जगह बना लि थी। अब कुछ भी पहले जैसा नहीं था अब उनके अन्दर डर आगया था। अब वे खुश नही थे। अब उन्हें सब कुछ पता चल गया था। यह उनका अंत था।
रोज कि तरह जब परमेश्वर उन से मिलने आए। परमेश्वर ने उन्हें आवाज लगाई आदम और हवा तुम दोनों कहा हो। तब आदम ने कहा परमेश्वर हम छुपे हुए है। परमेश्वर ने कहा क्यों। आदम ने कहा हम नंगे है हमारे शरीर पर कोई वस्त्र नही है। परमेश्वर ने कहा तुम्हे किसने बताया। आदम ने कहा आपने जिस पेड़ का फल हमे खाने को मना किया था हमने उस पेड़ का फल खाया है। और हमे अब सही और गलत का फर्क पता चल गया है ।
उस दिन से आज तक हम सभी इस दुख को सह रहे हैं। हम परमेश्वर से बहुत दूर हो चुके,उन खुशीयों से दुर हो चुके जो हमारी थी। आज भी ऐसा ही होता है थोड़ा सा लालच हमें उस सारी अच्छाईयों से दूर कर देती है।