BSF की स्थापना क्यों की गई? जानिए

साल 1962 में भारत-चीन युद्ध हुआ, जिसे देश हार चुका था। ये वो दौर था जब सीमा सुरक्षा के लिए फौज का गठन नहीं हुआ था। उस समय सूबें की पुलिस ही अपने-अपने राज्यों से लगते बॉर्डर की रखवाली करती थीं।

चीन से लड़ाई शुरू होने के पांचवे दिन सीमा सुरक्षा के लिए बड़ी पहल की गई, जिसके चलते भारत-तिब्बत सीमा पुलिस का गठन हुआ। हालांकि इसके बावजूद भी हम युद्ध हार चुके थे।

चीन से युद्ध हारने के बाद खतरा था पाकिस्तान से लगती सीमा का, जो सबसे असुरक्षित थी। चीन-तिब्बत के लिए तो बल गठित हो गया था लेकिन अब भी पाकिस्तान सीमा की सुरक्षा का जिम्मा राज्यों पर ही था, जिसे जरुरत थी एक अलग फोर्स की।

अब पाकिस्तान भी बगावत का रवैया अपना चुका था। साल 1965 में पड़ोसी देश ने जंग छेड़ दी थी। गुजरात के कच्छ में जिस तरह पाकिस्तानी फौजें घुसीं थी उससे इस बात का अंदाजा लगाना बहुत आसान था कि हमारी सरहद की हालत बेहद नाजुक थी। हालांकि किसी तरह हमारी सेना ने हार नहीं मानी और जंग जीत ली।

इस युद्ध के बाद केंद्र सरकार ने एक केंद्रीय एजंसी के गठन का फैसला किया,जिसकी जिम्मेवारी सिर्फ सीमाओं की रक्षा की थी। इसके बाद ही 1 दिसंबर 1965 को सीमा सुरक्षा बल यानी बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स बनाया गया।अब सीमा की सुरक्षा की जिम्मेदारी राज्यों की पुलिस के पास नहीं, एक केंद्रीय बल के पास थी, जो सीधे केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन है।

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