विटामिन-ई की कमी को न करें नजरअंदाज, हो सकती है बड़ी बीमारिया
हमारे शरीर में हर विटामिन की जरूरत होती है। इन्हीं में से एक विटामिन-ई भी है। विटामिन-ई की कमी होने पर कई तरह की शारीरिक समसम्या हो सकती है। इसलिए जरूरी है कि विटामिन-ई की कमी शरीर में होने न दी जाए।
एंटी-ऑक्सिडेंट में विटामिन-ई को मिलाकर लोगों का ध्यान उस वक्त इसकी तरफ आया था, जब वैज्ञानिकों ने यह समझना शुरू किया कि फ्री रेडिकल्स आर्ट्री क्लोगिंग एथरोस्केलरोसिस के शुरुआती चरण में कोशिकाओं को नष्ट करते हैं और यह कैंसर, दृष्टि हीनता और अन्य गंभीर समस्याओं का कारण बनते हैं।
विटामिन-ई में बॉडी को फ्री रेडिकल्स से सुरक्षित रखने की योग्यता होती है। साथ ही यह पूरी तरह से फ्री रेडिकल्स का प्रोडक्शन रोक सकता है। हालांकि, कुछ अध्ययनों में पुरानी बीमारियों को रोकने के लिए विटामिन-ई के हाई डोज को इस्तेमाल करने में इसकी क्षमता को कमतर आंका गया है।
मांसपेशियों में कमजोरी: हमारे केंद्रीय स्नायुतंत्र (सेंट्रल नर्वस सिस्टम) के लिए विटामिन-ई जरूरी होता है। यह बॉडी के एंटी-ऑक्सिडेंट्स में से एक होता है, जिसकी कमी के परिणामस्वरूप ऑक्सिडेटिव तनाव पैदा होता है। इस तरह विटामिन-ई की कमी होने पर मांसपेशियों में कमजोरी आती है।
कुछ अध्ययनों में सुझाव दिया गया है कि विटामिन-ई की कमी से इम्यून कोशिकाएं रुक जाती हैं। इसमें अधिक उम्र के वयस्कों को अधिक खतरा रहता है।
प्रीटर्म शिशुओं को विटामिन-ई की कमी का खतरा होता है, क्योंकि उनका पाचन तंत्र परिपक्व नहीं होता है, जो विटामिन-ई और फैट को सोखने की प्रक्रिया में मुश्किल पैदा कर सकता है। इस प्रकार के शिशुओं को हेमोलिक्टिक एनीमिया का खतरा रहता है, जो उनकी लाल रक्त कोशिकाओं को नष्ट कर देता है।