पूजा करते हुए घंटी जरूर बजाएं, होते हैं अनगिनत फायदे

हिन्दू धर्म में पूजा को दैनिक जीवन का अभिन्न अंग माना जाता है जिसका पालन करने के लिये हर घर में किसी ना किसी हिस्से में मंदिर स्थापित किये जाते है। पूजा पाठ के द्वारा ही इंसान अपने भावों को ईश्वर तक पहुचाता है। जिससे कई तरह की समस्याओं को समाधान किया जा सकता है इस बात तो साइंस भी मानता है। ईश्वर की अराधना करने से व्यक्ति को कई तरह के शारीरिक लाभ प्राप्त होते है।

घऱ में पूजा सही तरीके से सही समय पर की जाये तो काफी फायदेमंद माना गया है। पूजा के दौरान घंटी बजाना काफी शुभ माना गया है। इसलिये जब भी घर में पूजा होती है तो चाहे वो सुबह की आरती हो या फिर शाम की दीया बत्ती का समय। घंटी जरुर बजाई जाना चाहिये। ऐसा माना जाता है कि पूजा पाठ के समय घटी बजाना अपनी बात को ईश्वर तक पहुंचाने का एकमात्र साधन होता है। पूजा पाठ या आरती के समय घंटी के बजने की आवाज से देवताओं की प्रतिमाओं में चेतना जागृत होती है, जिससे पूजा-पाठ अधिक शुभ फल प्रदान करता है। इसके अलावा पूजा के समय घंटी की अवाज से हमारे आसपास का वातावरण शुद्ध होता है साथ में सकारात्‍मक ऊर्जा प्रवेश करती है। आइए जानते है घर में आरती या पूजा के समय घंटी ब‍जाना क्‍यों है जरुरी ?

वातावरण होता है शुद्ध –
वैज्ञानिकों का मानना है कि मंदिर घर का हो, या किसी धार्मिक स्थल का। इन धार्मिक कारणों के पीछे भी कई साइंटिफिक तथ्य जुड़े रहते है।जब भी घर या मंदिर में घंटे की अवाज सुनाई देती है तो इसकी अवाज से वातावरण में कंपन पैदा होता है, जो वायुमंडल के कारण काफी दूर तक जाता है। और इसकी अवाज से वायुमंडल में मौजूद होने वाले जीवाणु, विषाणु और सूक्ष्म जीव आदि नष्ट हो जाते हैं, जिससे आसपास का वातावरण शुद्ध हो जाता है। इसल‍िए मंदिर में प्रवेश करने से पहले या फिर घर में पूजा -पाठ करते वक्‍त घंटी का बजाना जरूरी होता है।

नकारात्मकता दूर होती है –
मन में शांति का अनुभव –
घंटी की मनमोहक एवं कर्णप्रिय ध्वनि हमारे मन-मस्तिष्क को अध्यात्म भाव की ओर ले जाने का कार्य करती है। मन घंटी की ध्वनि से जुड़कर शांति का अनुभव करता है। कहा गया है कि मंदिर में सुबह और शाम जब भी पूजा या आरती होती है तो एक लय और विशेष धुन के साथ घंटियां बजाई जाती हैं जिससे वहां मौजूद लोगों को दैवीय शक्ति का अभास होने लगता है। इसी तरह घर पर भी पूजा के समय घंटी बजाने का भी ये ही आशय है ताकि दैवीय उपस्थिति की अनूभूति हो सकें।

ओंकार का उच्‍चारण –
पुराणों के अनुसार जब सृष्टि का आरंभ हुआ, तब जो नाद (आवाज) गूंजी थी। वही आवाज घंटी बजाने पर भी आती है। घंटी की अवाज उसी नाद का प्रतीक है। यही नाद ‘ओंकार’ के उच्चारण से भी जागृत होता है। शास्‍त्रों में इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि जब प्रलय आएगा उस समय भी ऐसा ही नाद गूंजेगा। इसलिये मंदिर के बाहर लगी घंटी या घंटे को काल का प्रतीक भी माना गया है। वास्तु शास्त्र के अनुसार जिस घर में घंटी रहती है वह घर हमेशा बुरी आत्माओं से व बुरी शक्तियों से भी बचा रहता है।

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