पीरियड्स के रंग इस तरह खोलते हैं सेहत के राज
पीरियड्स को महामारी या मासिक धर्म के नाम से भी जाना जाता है। इंग्लिश में पीरियड्स को मेंस्ट्रुअल साइकिल भी कहा जाता है। पीरियड्स महिलाओं में होने वाली एक नैचुरल प्रॉसेस है। यह लड़कियों में 12 या 14 साल की उम्र से शुरू होता है और 21 से 35 दिनों के अंतराल में होता है। इस दौरान 5 से 7 दिनों तक वजायना से ब्लीडिंग होती है।
ब्लैक या ब्राउन कलर का ब्लड आना
पीरियड्स के दौरान अगर ब्लैक कलर की ब्लीडिंग हो तो जरूरी नहीं है कि आप परेशान ही हों। पीरियड्स के दौरान आने वाला काला रंग दरअसल ब्राउन रंग को दर्शाता है। काले या भूरे रंग के ब्लड का मतलब है कि यह पुराना ब्लड है।
डार्क रेड ब्लड आने का मतलब
डार्क रेड कलर पीरियड्स के दौरान जब आप कुछ वक्त के लिए लेटती हैं चलती हैं, तो ऐसी स्थिति में डार्क रेड कलर की ब्लीडिंग होती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि यह ब्लड यूट्रस में ज्यादा वक्त तक नहीं रह पाता है और यह ऑक्सिडाइज्ड नहीं हो पाता है। डार्क रेड कलर पीरियड्स के आखिरी दिनों में भी देखा जा सकता है।
पीरियड्स में गुलाबी रंग का ब्लड आना
पीरियड्स के शुरूआती दिनों के साथ-साथ आखरी दिनों में भी पिंक ब्लीडिंग हो सकती है या फिर स्पॉटिंग हो सकती है। जब सर्वाइकल फ्लूइड के साथ पीरियड्स का ब्लड मिलने लगता है तो ब्लड का रंग गुलाबी होने लगता है।
ऑरेंज कलर का ब्लड
पिंक और ऑरेंज ब्लीडिंग के पीछे सर्वाइकल फ्लूइड ही माना जाता है, लेकिन अगर ऑरेंज कलर की ब्लीडिंग ज्यादा हो रही है, तो इसके दो कारण हो सकते हैं। इन कारणों में शामिल है इंफेक्शन और इम्प्लांटेशन स्पॉटिंग।